क्या आप जानते है टाइटैनिक जहाज पर सवार थी जांजगीर की ये महिला, जाने उनके बारे में…

@बिट्टू शर्मा

डेस्क : 15 अप्रैल को घटित विश्व चर्चित टाइटैनिक जहाज हादसे दु:खद स्मृति जांजगीर से भी जुड़ी है. इस जहाज़ में मूलत: निवासी अमेरिका के एनी क्लेमर फंक छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा में 1907 में गर्ल्स स्कूल की स्थापना की थी.

जांजगीर-चांपा. विश्व प्रसिद्ध टाइटेनिक जहाज हादसे की दु:खद स्मृति जांजगीर से भी जुड़ी है. 10 अप्रैल 1912 को विश्व का सबसे बड़ा आधुनिक सर्व सुविधाओं से सुसज्जित एवं अधिकतम रफ्तार से चलने वाला टाईटेनिक जहाज 2228 यात्री के साथ उत्तरी अटलांटिक महासागर के बर्फिले जल में अपनी प्रथम यात्रा में निकला था. की 15 अप्रैल की रात टाईटेनिक महासागर जल के ऊपर तैरते एक विशाल बर्फ की चट्टान से टकराने के कारण जहाज में एक बड़ी दरार पड़ गयी. जिससे टाईटेनिक जहाज महासागर में डूब गया इस दुर्घटना में 1517 यात्रियों की मृत्यु हो गई थी जांजगीर चांपा जिले की मिस एनी क्लेमर फंक भी शामिल थी.

अपको बता दे की अमेरिका के पेनिसिलवेनिया के रहने वाले जेम्स बी की पुत्री मिस एनी क्लेमर फंक मिशनरी सेवा करने 1906 में प्रथम मेनोनाइट महिला मिशनरी बनकर भारत आईं थी. और छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा में भीमा तालाब के पास 1907 में उन्होंने 17 लड़कियों को लेकर गर्ल्स स्कूल की स्थापना की थी.

इस संबंध में जांजगीर के फंक मेमोरियल स्कूल के प्राचार्य सरोजनी सिंग ने बताया की यह स्कूल मिस एनी क्लेमर फंक के स्मृति में पुन: स्थापित किया गया है. और बताया की जब जांजगीर चांपा क्षेत्र के मिशनरी अमेरिका गए और यहां की शिक्षा के स्तर में पिछड़ा हुआ बताया तो अमेरिका की रहने वाली मिस एनी क्लेमर फंक इसी परिपेक्ष्य में शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए ही 1906 में भारत आई और छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा में भीमा तालाब के पास किराए की मकान में उन्होंने 1907 में गर्ल्स स्कूल की स्थापना की जिसमें शुरुआत में 17 छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रही थीं.
और छात्राएं के रहने के लिए हॉस्टल भी बनवाया जो डबल स्टोरी बिल्डिंग थी. यह हॉस्टल का भवन वर्तमान में खंडहर में तब्दील हो गया है.

मौत खींच ले गई टाइटेनिक तक

जानकार बताते हैं की मिस फंक की मां सुसन्ना क्लेमर फंक के गंभीर रूप से बीमार होने के कारण मिस फंक को अमेरिका जाना था. वह जांजगीर से मुंबई गईं फिर पानी जहाज से इंग्लैंड रवाना हुई. ब्रिटेन से अमरीका जाने के लिए उन्हें एसएस हेवाफोड्ज जहाज में जाना था. लेकिन कोयला मजदूरों की हड़ताल के कारण वह जहाज नहीं गया. इसलिए मिस एनी क्लेमर फंक ने 13 पौंड अधिक राशि देकर टाइटैनिक जहाज में द्वितीय श्रेणी का टिकट लिया था. उनका टिकट नंबर 237671 था. यह टाइटैनिक जहाज 10 अप्रैल 1912 में इंग्लैंड के साउथम्प्टन बंदरगाह से अमेरिका के बैली. पेन्सायलवेनिया जाने के लिए निकली और अपनी यात्रा पूरा करने के पहले ही 15 अप्रैल 1912 सोमवार के दिन उत्तरी अटलांटिक महासागर में एक हिम खंड से टकराने के बाद जहाज डूब गया. इसमें 1517 यात्रियों की जान गई थी. जिसमें मिस फंक भी शामिल थीं. इसकी जानकारी टाइटैनिक हादसे में जान गवाने वाले यात्रियों के बारे में जारी किए गए दस्तावेजों से मिली.

टाइटैनिक में मनाया अपना अंतिम जन्मदिन…

मिस एनी फंक का जन्म 12 अप्रैल 1874 को हुआ था. टाइटैनिक से अमेरिका यात्रा के दौरान जहाज में ही उसने 12 अप्रैल 1912 को खुशी खुशी अपना अंतिम जन्मदिन मनाया था और 15 अप्रैल को जहाज डूबने से वह भी समुद्र में समा गईं.
जब वे दुनिया छोड़ गई तब उनकी उम्र 38 वर्ष 03 दिन की थी. उनकी स्मृति में मिशनरियों ने मिस फंक मेमोरियल स्कूल की शुरूआत की जो मिशन कंपाउंड जांजगीर में संचालित हुई. कुछ साल बाद स्कूल बंद हो गया और भवन भी टूट गया. स्कूल का हॉस्टल अब भी जर्जर अवस्था में है. लेकिन वहां उनका शिलालेख आज भी है. जो मिस फंक की याद ताजा कर रहा है. हर साल मिशनरी समाज द्वारा 15 अप्रैल को उनको याद कर श्रद्धांजलि देते है. और याद पुन: फंक मेमोरियल इंग्लिश मीडियम स्कूल चलाया जा रहा है.

जाते-जाते भी दे गई जीवनदान

और बताया कि 15 अप्रैल 1912 की अंधेरी रात में जब टाइटेनिक नार्थ अटलांटिक महासागर में डूब रहा था तब उसमें सवार लोगों को बचाने के लिए
जहाज के कप्तान एवं कर्मचारी यात्रियों की सुरक्षा की पूर्ण कोशिश में लग गये एवं जहाज में उपलब्ध जीवन रक्षक नौकाओं को समुद्र में उतारा जाने लगा, सहायता हेतु संकेत एवं तमाम उपायों का उपयोग किया जाने लगा.किस्मत से मिस फंक को अंतिम लाइफ बोट में सीट मिल गई वह अपने सीट में बैठने ही वाली थी की लेकिन एक बच्चे को सीट नहीं मिली थी और उस बच्चें की मां को सीट मिल गई थी. मां और उसके बच्चे बिछड़ न जाए इसलिए मिस फंक ने अपना लाइफ बोट का सीट त्याग दिया और स्वयं डूबते हुए टाईटेनिक में रुक गई. मिस एनी क्लेमर फंक की इस त्याग और बलिदान ने एक माँ को अपने बच्चों से जुदा होने से बचा लिया जाँजगीर की इस टाईटेनिक यात्री का बलिदान जॉजगीर एवं पूरे विश्व के लिए आदर्श एवं गौरव की बात है, जिसे कोई भूला न पायेगा.

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