कोरोना के बाद अब Marburg Virus ने बढ़ाई चिंता, जाने क्या है इसके लक्षण

हेल्थ डेस्क, तोपचंद : Marburg Virus: कोरोना वायरस का प्रकोप (Coronavirus Outbreak) अभी दुनिया भर में थमा नहीं है कि अब एक और वायरस ने दहशत पैदा कर दी है. जी हां, कोरोना वायरस के बाद अब एक नए वायरस ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है.

इस वायरस का नाम मारबर्ग (Marburg Virus) बताया जा रहा है, जो इबोला वायरस (Ebola Virus) जितना खतरनाक है. छोटे पश्चिमी अफ्रीकी देश इक्वेटोरियल गिनी में इस वायरस से मौत के कई मामले पहले ही सामने आ चुके हैं और अब केन्याई स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा है कि वे पड़ोसी देश तंजानिया द्वारा देश के उत्तर-पश्चिम कगेरा क्षेत्र में मारबर्ग वायरस रोग के पहले मामले का पता चलने के बाद हाई अलर्ट पर हैं.

क्या है मारबर्ग वायरस?

बताया जा रहा है कि मारबर्ग वायरस एक संक्रामक वायरस है, जो इबोला वायरस के परिवार से जुड़ा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, मारबर्ग विषाणु रोग अत्यधिक विषैला होता है और रक्तस्रावी बुखार का कारण बनता है, जिसमें मृत्यु का अनुपात 88 फीसदी तक होता है. इसकी चपेट में आने पर शरीर के अंदरूनी या बाहरी हिस्सों में ब्लीडिंग शुरु हो सकती है और जरा सी लापरवाही जान भी ले सकती है.

लक्षण

मारबर्ग वायरस से संक्रमित व्यक्ति में अचानक तेज बुखार, सिरदर्द और गंभीर अस्वस्थता जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं. कई पीड़ित व्यक्तियों में वायरस से संक्रमित होने के बाद सात दिनों के भीतर गंभीर रक्तस्रावी लक्षण विकसित हो जाते हैं. इसके अलावा पीड़ित व्यक्ति में ठंड लगना, बेचैनी, सीने पर लाल रैशेज, जी मिचलाना, सीने में दर्द, उल्टी, गले में सूजन, पेटदर्द और डायरिया जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं.

कैसे फैलता है ?

बताया जा रहा है कि इबोला की तरह ही मारबर्ग वायरस भी चमगादड़ों में उत्पन्न होता है. यह वायरस संक्रमित लोगों, सतहों और सामग्रियों के शारीरिक तरल पदार्थों के सीधे संपर्क में आने से इंसानों में फैलता है. पहली बार इस घातक वायरस की पहचान साल 1967 में की गई थी.

इलाज और बचाव के तरीके

मारबर्ग जैसे घातक वायरस से संक्रमित होने वाले व्यक्तियों के इलाज के लिए फिलहाल कोई स्वीकृत टीका या एंटीवायरल उपचार मौजूद नहीं है. ऐसे में इससे बचाव ही इसका सबसे अच्छा इलाज हो सकता है.

इस संक्रमण से बचने के लिए मास्क का इस्तेमाल करें, ग्लव्स पहनें. अगर कोई इस वायरस की चपेट में आ जाता है तो उसे आइसोलेट करें, जैसे कोरोना काल में संक्रमित लोगों को किया जाता था.

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