Multilayer Farming : मल्टी लेयर खेती से किसानों की चमकेगी किस्मत, जानें इसकी पूरी जानकारी

एग्रीकल्चर, तोपचंद। Multilayer Farming : आजकल एग्रीकल्चर में इतने तरह के फार्मिंग तकनीक आ चुके हैं। जिससे किसानों को मदद मिलती है। हां हम आज आपको ऐसी ही एक तकनीक के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी मदद से आप छोटी सी जगह पर ज्यादा मात्रा में पैदावार ले सकते हैं। इस तकनीक को मल्टीलेयर फार्मिंग कहते हैं।

किसान अपनी आय को बढ़ाने के लिए मल्टी लेयर फार्मिंग को अपना सकते हैं क्योंकि मल्टी लेयर फार्मिंग करके किसान एक ही खेत में एक साथ 4 से 5 फसलों की खेती कर सकते हैं। जिससे किसानों को अच्छी आमदनी होती हैं।

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क्या है मल्टी लेयर फार्मिंग ?

यह खेती करने की ऐसी विधि है जिसमे एक ही खेत में एक साथ 4 से 5 फसलों की खेती की जाती हैं। इस तरह की खेती मे फसलों का सही चयन काफी महत्वपूर्ण माना जाता हैं। इस तरह की खेती मे एक फसल वो होती है जो जमीन की नीचे की परत मे होती हैं.

जैसे कि अदरक, हल्दी आदि जबकि दूसरी फसल वो होती हैं जो जमीन की सतह पर होती हैं जैसे कि पालक, मेथी, धनिया या पत्तेदार हरी सब्जियाँ। एवं तीसरी बेल वाली फसल जैसे कि लौकी, करेला, कुदरू, तोरई और खीरा आदि साथ ही चौथी फसल पपीता आदि की ली जाती हैं।

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मल्टीलेयर फार्मिंग के फायदे

सबसे पहला फायदा तो यह है कि आप कम जमीन में अधिक से अधिक पैदावार ले सकते हैं। जिन लोगों के पास कम जमीन है वह लोग भी इस तकनीकी से अधिक आमदनी कर सकते हैं।

इसमें आपको फसल बेचने के लिए 6 महीने तक का इंतजार नहीं करना पड़ता क्योंकि आपने कई फसलें लगाई हुई है तो जैसे ही एक फसल खत्म होगी तब तक दूसरी चालू हो चुकी होगी और जब तक वह खत्म होगी तब तक दूसरी फसल चालू हो जाएगी।

इसमें आपको बार-बार जुताई भी नहीं करानी पड़ती। क्योंकि मल्टी लेयर फार्मिंग जैन फसलों को किया जाता है उनमें से कई कस्बों ऐसी हैं जिनको जुताई की जरूरत नहीं होती।

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इस तरह से की गई खेती में बीमारियां भी कम लगती हैं क्योंकि खेती में आप जिन पौधों का इस्तेमाल करते हैं वह पौधे ऐसे होते हैं जो किसी ना किसी रूप से एक दूसरे के लिए पोषण देने का कार्य करते हैं जिससे आप की फसल में बीमारियां कम लगती हैं और आपको अधिक पैदावार मिलती है।

जिस मिट्टी पर इस तकनीकी से खेती की जाती है उस मिट्टी की गुणवत्ता भी काफी हद तक बढ़ जाती है, जब आप हर साल एक ही जैसी खेती करते रहते हैं तो इससे आपके खेत के मिट्टी पर बुरा प्रभाव पड़ता है। कई किसानों का ऐसा मानना है कि मल्टी लेयर खेती करने के बाद उनके खेत की मिट्टी में काफी अच्छा परिवर्तन आया है।

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कैसे होती है मल्टी लेयर फार्मिंग

मल्टी लेयर फार्मिंग कुछ बातों को ध्यान मे रखकर आसानी से किया जा सकता हैं इसमे फसलों का चयन काफी महत्वपूर्ण माना जाता है अगर इसमे सही फसलों का चयन नहीं किया गया तो इससे अच्छे मुनाफे नहीं कमाए जा सकते हैं। मल्टी लेयर फार्मिंग मे फसलों की बुवाई सही समय पर करना चाहिए। जिससे की फसल समय पर तैयार हो जाए।

मल्टी लेयर फार्मिंग करने वाले किसान फरवरी माह मे अदरक, हल्दी आदि लगा देते हैं जिसका की जमीन के नीचे मे बुआई की जाती है। और ऊपरी सतह पर किसान पालक, मेथी, धनिया आदि की बुआई कर देते है। जब तक अदरक की पौध जमीन की ऊपरी सतह पर आती है तब तक किसान का ऊपरी सतह वाली फसल तैयार हो जाता हैं। जिसे बेचकर किसान पैसे कमा लेते हैं। ऊपरी सतह पर फसल की बुआई हो जाने से खरपतवार भी नहीं उगते है।

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जिसे समय पर हार्वेस्टिंग करके अच्छे पैसें कमाए जा सकते हैं। इसके साथ ही पपीते के पौधे लगा देते हैं. इसे ऐसे समय मे लगाया जाता है, जिससे पपीते का तना कुछ दिनों में ऊपर बनाई गई छत से ऊपर निकल जाता है और फिर बेल के ऊपर फल देने लगता है। इस तरह से किसान पपीते से भी अच्छे पैसे कमा पाते हैं।

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