CG के इस मंदिर में शिवलिंग के चारों तरफ फैला खून, भोले की भक्ति में युवक ने काटकर चढ़ा दी अपनी जीभ

Young man cut off his tongue and offered it to Shiva in Janjgir : सावन का महीना चल रहा है। ऐसे में शिवभक्त भगवान शंकर को खुश करने के लिए तरह-तरह के तरीके अपनाते कोई जब करता है तो कोई दान। मगर छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा में एक भक्त ने शिवलिंग (Shivling) पर अपनी जीभ अर्पण कर दी। यह घाटना पामगढ़ के डुमरिया तालाब (Dumaria pond of Pamgarh) के शिव मंदिर की है। जहां आज सुबह लोगों की भीड़ अचानक जमा होनी शुरू हो गई कुछ देर बाद मामला पता चला एक युवक ने अपनी जीभ काट कर भगवान भोलेनाथ को चढ़ा दी।

बताया जा रहा है कि हर बार की तरह इस बार भी युवक जिसका नाम चंद्रशेखर पटेल है वह सावन के दूसरे हफ्ते में शिवलिंग पर जल चढ़ाने पहुंचा था पहले उसने पूजा अर्चना की उसके बाद अचानक अपनी जीभ काटकर शिवलिंग पर चढ़ा(Young man cut off his tongue) दी इसकी वजह से शिवलिंग के आसपास युवक के मुंह से निकले खून की वजह से खून जमा हो गया ।

जैसे ही इस बात की सूचना पुलिस को मिली तब पुलिस वहां मौके पर पहुंचकर उस युवक को उपचार के लिए अस्पताल ले गई मगर तब तक गांव में यह खबर फैल चुकी थी किसी ने भगवान शंकर को जीभ अर्पण कर दी है बस फिर क्या था मंदिर के बाहर लोगों का तांता लग गया।

बड़ा भाई भी चढ़ा चुका है जीभ….

पूछताछ में ग्रामीणों ने बताया कि चंद्रशेखर के बाड़े भाई सुखीराम ने भी जीभ काटकर शिवलिंग में चढ़ाई थी। अब उसके छोटे भाई ने ऐसा किया है। ग्रामीणों ने ये भी बताया कि चंद्रशेखर का पूरा परिवार भगवान शिवजी पर काफी आस्था रखता है। पामगढ़ ब्लाक के अध्यक्ष राजकुमार पटेल का चंदकिशोर पटेल भांजा है। फिलहाल इस पूरे मामले में पुलिस जांच कर रही है।

1998 में भी रायगढ़ जिले में एक युवक ने शिव भक्ति में जीभ कर अर्पण की थी …

सत्यनारायण बाबा देवरी डूमरपाली नामक गांव के मूल निवासी हैं, जिनका जन्म 12 जुलाई 1984 में हुआ था. इनके पिता का नाम दयानिधी एवं उनके माता का नाम हंसमती है। माता पिता ने बालक का नाम हलधर रखा था उनकी माता ने बताया कि सत्यनारायण बचपन से ही भगवान शिव के भक्त थे। वे गांव में स्थित शिव मंदिर में 7 दिनों तक लगातर तपस्या करते रहे।

16 फरवरी 1998 को हलधर घर से स्कूल के लिए निकले एवं अपने गांव से लगभग 18 किलोमीटर दूर कोसमनारा गांव में तप करने बैठ गए। इसी दिन से बाबा एक पत्थर को शिवलिंग मानकर अपनी जीभ काटकर शिव तपस्या में लीन हो गए। यहीं से उनके बाबा सत्यनारायण बनने की कहानी शुरू हुई। उस दिन से लेकर आज तक बाबा उसी स्थान पर बैठकर तप कर रहे हैं।

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