तोपचंद, रायपुर। इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले की जांच अब फिर से की जाएगी। इसके हाई कोर्ट ने अनुमति दे दी है। इसकी जानकारी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट करके दी है। जिला न्यायालय ने मंगलवार को जनता की गाढ़ी कमाई के पैसों के गबन के प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले की जांच की अनुमति दे दी है। बैंक संचालकों सहित कई अन्य लोगों को भी पैसे दिए गए हैं। भ्रष्टाचार उजागर होनी चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी ही चाहिए।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि नार्को टेस्ट में प्रमुख अभियुक्तों में से एक उमेश सिन्हा ने बताया था कि उसने तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनके मंत्रियों अमर अग्रवाल, बृजमोहन अग्रवाल व रामविचार नेताम सहित कई भाजपा नेताओं को करोड़ों रुपए दिए थे। बैंक संचालकों सहित कई अन्य लोगों को भी पैसे दिए गए। भ्रष्टाचार उजागर होना चाहिए। दोषियों को सज़ा मिलनी ही चाहिए।
दरअसल रायपुर स्थित सहकारी बैंक इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक में 2006 में यह घोटला सामने आया था। करीब 28 करोड़ के इस घोटाले में बैंक मैनेजर सहित संचालक मंडल के सदस्योंं जिनमें ज्याीदार महिलाएं शामिल थी, उन्हें आरोप बनाया गया था। उस दौरान मामले की जांच भी हुई थी। लेकिन अब राज्य सरकार ने उस मामले की नए सिरे से जांच कराने की अनुमति हाईकोर्ट से मांगी थी जो अब मिल गई है। इसमें तत्काीलीन सरकार के मंत्रियों और कुछ अफसरों का भी नाम आया था।
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