Rath Yatra 2023 Mein Kab Hai : भारत देश एक उत्सवों और संस्कृति का देश है, जहां हर त्योहार का अपना विशेष महत्व होता है। लोग त्योहारों को धूमधाम के साथ मनाते हैं। एक महत्वपूर्ण त्योहार है “जगन्नाथ रथ यात्रा” जो पूरे ओडिशा में आयोजित होता है।
Rath Yatra 2023 : शुरू हो चुकी है तैयारियां
ओडिशा (Odisha) के पुरी (Puri) में विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा की तैयारियां जोरों पर है. इस बार रस्सियों को कई स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की महिला सदस्यों द्वारा रोल किया गया है. ओडिशा कोऑपरेटिव कॉयर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (Odisha Cooperative Coir Corporation Ltd) यानी ओसीसीसी/कॉयर बोर्ड (OCCC/Coir Board) ने बुधवार को श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (Sri Jagannath Temple Administration) (एसजेटीए) को जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra) में इस्तेमाल के लिए 26 हैवी-ड्यूटी कॉयर रस्सियां (Heavy-Duty Coir Ropes) सौंपी. खबरों के मुताबिक, 26 रस्सियों में से 14 रस्सियों का इस्तेमाल रथों को खींचने के लिए किया जाएगा और बाकी 12 रस्सियों का इस्तेमाल रथों को घेरने के लिए किया जाएगा.
रस्सियों के बारे में बात करते हुए ओसीसीसी के प्रबंधक सुरेंद्र कुमार साहू ने कहा कि मैं एसजेटीए को हमें यह जिम्मेदारी सौंपने के लिए धन्यवाद देता हूं. भगवान जगन्नाथ की कृपा से हम पिछले 16 वर्षों से निर्बाध रूप से रथ यात्रा के लिए रस्सियां प्रदान कर रहे हैं.
यह यात्रा भगवान कृष्ण के अवतार भगवान जगन्नाथ की श्रद्धा में होती है। इस यात्रा में, भक्तों के द्वारा रथ (गाड़ी) को उनके मंदिर से निकालकर गलियों के माध्यम से निकाला जाता है और श्रद्धालु इसे धूमधाम के साथ पुरी मंदिर तक पहुंचाते हैं। यह एक आदिकालीन और प्रमुख हिंदू धार्मिक आयोजन है और एक महान उत्सवी आंशिक है जिसे लाखों लोगों ने पूरी श्रद्धा और आनंद के साथ मनाया है।
Rath Yatra 2023 : इस साल कब है रथ यात्रा ?
बता दें, इस साल पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा (Jagannath Rath Yatra 2023 Mein Kab Hai) का आयोजन 20 जून से किया जाएगा. इस त्योहार के दौरान भगवान जगन्नाथ की उनके भाई भगवान बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के साथ पूजा की जाती है.
Rath Yatra 2023 : जगन्नाथपुरी रथ यात्रा का इतिहास
पुरी में रथ यात्रा के इस पर्व का इतिहास काफी पुराना है और इसका आरंभ गंगा राजवंश द्वारा सन् 1150 में की गई थी। यह वह पर्व था, जो पूरे भारत भर में पुरी की रथयात्रा के नाम से काफी प्रचलित हुआ। इसके साथ ही पाश्चात्य जगत में यह पहला भारतीय पर्व था, जिसके विषय में विदेशी लोगो को जानकारी प्राप्त हुई। इस त्योहार के बारे में मार्को पोलो जैसे प्रसिद्ध खोजकार्ताओं ने भी अपने पुस्तकों में वर्णन किया है।
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