टूटेंगे गर्मी के सारे रिकॉर्ड! अगले 5 साल में पड़ेगी भयंकर गर्मी, मौसम वैज्ञानिकों की चेतावनी

संयुक्त राष्ट्र के मौसम विज्ञान संगठन (World Metrological Organisation) के अनुसार, अगले 5 वर्षों में रिकॉर्डतोड़ गर्मी पड़ने वाली है. WMO के अनुसार, ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन और स्वाभाविक रूप से होने वाले अल नीनो के कारण अगले पांच वर्षों में वैश्विक तापमान में रिकॉर्ड वृद्धि होने की संभावना है.

WMO का कहना है कि 2023 से 2027 के बीच अब तक की सबसे ज्यादा गर्मी पड़ सकती है. अपनी रिपोर्ट WMO ने कहा है, ‘ग्रीनहाउस गैसों और अल नीनो के चलते जलवायु परिवर्तन में तेजी आएगी और इस बात की 98% संभावना है कि अगले 5 साल में रिकॉर्ड स्तर की गर्मी दर्ज की जाएगी.’

टूटेगा अब तक का रिकॉर्ड

WMO ने अनुमान जताया है कि 2023 से 2027 के बीच 5 वर्षों में कोई एक साल ऐसा होगा, जो 2016 के तापमान का रिकॉर्ड भी तोड़ेगा. साल 2016 का सालाना तापमान सामान्य से 1.28 डिग्री सेल्सियस अधिक था. ये प्री इंडस्ट्रियल टाइम (1850-1900 की अवधि के औसत) से ज्यादा था.

रिपोर्ट के अनुसार, अब तक के सबसे गर्म आठ साल 2015 से 2022 के बीच दर्ज किए गए थे. अब जलवायु परिवर्तन में तेजी आने से तापमान के और ज्यादा बढ़ने की आशंका है.


पेरिस समझौते की सीमा पार करने का खतरा

संयुक्त राष्ट्र के मौसम विज्ञान संगठन ने बताया है कि जलवायु परिवर्तन को लेकर पेरिस समझौते में जो ग्लोबल टेंपरेचर सेट किया गया था, वो उससे पार जाने वाला है. WMO ने कहा कि इसकी 66% संभावना है कि वर्ष 2023 और 2027 के बीच, वार्षिक औसत निकट-सतह वैश्विक तापमान, कम से कम एक वर्ष के लिए, पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक होगा. इन पांच साल में हर साल के 1.1 डिग्री सेल्सियस से 1.8 डिग्री सेल्सियस की सीमा रखी गई है.

WMO के महासचिव प्रोफेसर पेटेरी तालस ने कहा, ‘इस रिपोर्ट का मतलब ये नहीं है कि हम स्थाई रूप से पेरिस समझौते में तय किए गए 1.5 डिग्री सेल्सियस स्तर से अधिक हो जाएंगे.’ हालांकि WMO की चेतावनी है कि बढ़ती आवृत्ति के साथ अस्थायी आधार पर हम 1.5 डिग्री सेल्सियस स्तर को पार कर जाएंगे.’

क्या है पेरिस समझौता?

पेरिस समझौते के तहत, ग्लोबल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को पर्याप्त रूप से कम करने के लिए, दीर्घकालिक लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं, ताकि इस सदी में वैश्विक तापमान वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस तक सीमित किया जा सके. साथ ही, प्रतिकूल प्रभावों और नुकसानों से बचने के लिए भविष्य में इस बढ़ोतरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने का प्रयास आगे बढ़ाया जा सके.
WMO महासचिव तालस ने आगाह किया है कि तापमान में बढ़ोतरी का असर स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, पर्यावरण और जल प्रबंधन पर बुरी तरह पड़ेगा. इसके लिए पूरी दुनिया को तैयार रहने की जरूरत है.

WMO ने बजाई खतरे की घंटी

UN की वेदर एजेंसी ने बताया कि आने वाले दिनों में अल-नीनो के डेवलप होने की प्रबल संभावना है. WMO ने कुछ दिन पहले कहा था कि अल नीनो, जुलाई के अंत तक 60% तक और सितंबर तक 80% विकसित हो सकता है. बता दें कि अल नीनो प्रशांत महासागर में आने वाला एक किस्म का मौसमी बदलाव है. इस दौरान बेमौसम बारिश, कभी प्रचंड गर्मी तो कभी अचानक सर्दी जैसी स्थिति पैदा होने लगती है. अल नीनो के विकसित होने के बाद 2024 में वैश्विक तापमान बढ़ेगा.

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