रायपुर : छत्तीसगढ़ में एक तरफ जहां कल एक बड़े हादसे में दस्तक दी तो वहीं दूसरी तरफ खुलेआम शहर में परिवहन विभाग की आंखों में धूल झोंक कर प्लांट में स्कूल बसों को चलाया जा रहा है। स्टाफ को लाने ले जाने के लिए स्कूल बस का प्रयोग किया जा रहा है। सूत्रों की माने तो इसकी लाइफ भी खत्म हो चुकी है मगर तब भी बसों का उपयोग किया जा रहा है जो कि सीधा-सीधा यात्रियों की जान से खिलवाड़ है।
बता दें कि जैसा कि मंगलवार रात्रि को दुर्ग जिले के कुम्हारी टोल के पास एक केडिया डिस्टिलरी स्टाफ बस का बहुत दुखद घटना घटित हुई है।जिसमे 13 लोगो की मौत और करीब आधा दर्जन से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल है। अब ऐसे सवाल ये उठता है की प्लांट और बड़ी फैक्ट्रियों में अपने स्टाफ को लाने और लेजाने के लिए क्या पूरी सुरक्षा बरती का रही है?
दुर्ग और रायपुर जिले में कई कंपनियों के स्टाफ अपनी जान जोखिम में रखकर कंपनी द्वारा दिलाई जाने वाली बसों में आने जाने वाली सुविधा का उपयोग कर रहें है। जिसका माप दंड सही है या नही उसकी जांच प्रशासन शायद पूरी तरह नहीं कर पा रही है।
मामला अब रायपुर शहर के एक बड़ी कंपनी निको स्टील प्लांट से जुड़ा बताया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक कुछ ऐसा ही हो रहा जहा पर उनके स्टाफ को लाने ले जाने के लिए जिन बसों का उपयोग किया जा रहा है वो सारी बसे ना ही स्टाफ बस है और ना ही सुरक्षा की दृष्टि से सही है।
ये कंपनी अपने स्टाफ को लाने ले जाने के लिए दस से पंद्रह साल पुरानी स्कूल बस और अन्य बसों का उपयोग कर रही है। जिसकी किसी भी प्रकार से कोई भी जांच प्रशासन नही कर रही है।
मोटर व्हीकल एक्ट के तहत स्टाफ बसों के चलाने के लिए और स्टाफ की सुरक्षा के लिए अलग अलग नियम कायदे है। जिसको देखने वाला कोई नही है । जिस कारण इतने बड़े प्रतिष्ठित कंपनी में किसी भी प्रकार की पुरानी बसों का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसमे कई बसों में ना तो स्टाफ परमिट है और ना ही कई बसों का फिटनेस है ऐसा सूत्रों का कहना है।
कंपनी में चलने वाले बसों को शासन द्वारा स्टाफ परमिट ईशु किया जाता है जो की प्राइवेट सर्विस व्हीकल के नाम से रजिस्टर्ड होता है जिसका तिमाही टैक्स 450 से 600 तक प्रति सीट हर तिमाही में पटाया जाता है। जिसको बचाने के लिए नीको इंडस्ट्रीज और रिलायंस ट्रेवल्स द्वारा शासन की टैक्स चोरी करते हुए अपने स्टाफ की जान को जोखिम में डालते हुए ऐसे स्कूल बसों में जो की 15 साल पुरानी है जो की परिवहन विभाग द्वारा कंडम मानी जाती है ऐसे बसों से नीको कंपनी अपने कर्मचारियों को लाना ले जाना करती हैं।
बड़ा सवाल ;
क्या कुमारी में हुई घटना के बाद परिवहन विभाग की नींद टूटेगी और प्रदेश में बड़ी कंपनियां अपने स्टाफ के जान के साथ जो खिलवाड़ कर रही हैं उसे पर कोई एक्शन होगा या नहीं यह देखने वाली बात होगी?
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