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जांजगीर-चांपा:- जांजगीर चांपा जिले में जांजगीर जिला मुख्यालय से 07 किलोमीटर दूर हसदेव नदी के किनारे बसे पीथपुर ग्राम में भगवान शिव जी यहां बाबा कलेश्वर नाथ के रुप में विराजे है. यहां रंग पंचमी के दिन बाबा कलेश्वर नाथ की चांदी की पालकी में बारात निकलती है. जिसमे बाराती के रूप में शामिल होने पूरे देश से नागा साधु और साधुबाबा आए हुआ रहते है.
अपको बता दे की होली के पांचवें दिन रंग पंचमी के दिन छत्तीसगढ़ के उज्जैन के नाम से विख्यात जांजगीर चांपा जिले के पीथमपुर गांव में बाबा कलेश्वर नाथ की बारात चांदी के पालकी में धूमधाम से निकलती है. परंपरा के अनुसार इस अवसर पर देश के अलग-अलग अखाड़ों के नागा साधु बारात में शामिल होते है और शौर्य का प्रदर्शन करते है. जिसे देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग दूर-दूर से पहुंचते है. मान्यता है कि पीथमपुर के बाबा कलेश्वर नाथ के दर्शन मात्र से निसंतानों को संतान की प्राप्ति होती है. वहीं पेट संबंधी पुराने से पुराने रोग से भी निजात मिलती है.
बारात में शामिल होने वाले नागा साधु ने बताया की पीथमपुर में स्थित बाबा कलेश्वर नाथ पर लोगों की अगाध आस्था है. लोग बाबा कालेश्वर नाथ को क्लेश हरने वाला मानते हैं. यही वजह है की रंग पंचमी के दिन बाबा कलेश्वर नाथ की बारात में शामिल होने के लिए दूर-दूर से भक्त पहुंचते हैं. पीथमपुर में शिव बारात निकालने की 200 साल पुरानी पुरातन परंपरा चली आ रही है. इस बारात में चांदी से बनी विशाल पालकी में बाबा कलेश्वर नाथ को नगर भ्रमण कराया जाता है.यह बारात बाबा कलेश्वर नाथ मंदिर प्रांगण से प्रारम्भ होकर पूरे नगर और मेला में में घुमाया जाता है उसके बाद हसदेव नदी के तट पर प्रतिमा को स्नान करा कर महाआरती की जाती है. उसके बाद वापस मंदिर में समाप्त होती है. यहां के पंडित ने बताया की रंग पंचमी के दिन कलेश्वर बाबा के दर्शन करने से कई लाभ होते हैं. इसमें सबसे बड़ा लाभ निसंतान महिलाओं संतान की प्राप्ति होती है. यदि किसी को पेट संबंधी पुरानी समस्या है तो वह भी दूर हो जाती है. यही कारण है कि लोग यहां बड़ी संख्या में शामिल होते है.
पंचमी से होती है 15 दिवसीय मेला की शुरूवात…
महाआरती के बाद बाबा कलेश्वर नाथ की मूर्ति को वापस मंदिर में स्थापित किया जाता है. इस बारात में पूरे देश भर से अलग-अलग अखाड़ों के नागा साधुओं की भूमिका अहम रहती है, जो अपने अखाड़ों का शौर्य प्रदर्शन करते हैं. पीथमपुर में बाबा कलेश्वर नाथ की बारात के बाद रंग पंचमी के दिन से 15 दिन मेले की शुरुआत होती है. जिसमें जिले के साथ प्रदेश भर से दर्शनार्थी शामिल होने पहुंचे हैं.
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