Dr. Ritu Singh: प्रोफेसर रहीं डॉ. ऋतु सिंह को क्यों बेचना पड़ रहा है पकौड़े? कांग्रेस आई समर्थन में…

Dr. Ritu Singh: तोपचंद, रायपुरः डॉ. ऋतु सिंह देश में शायद ही यह नाम किसी के जुबान में नहीं होगा क्योंकि डॉ. श्रतु सिंह का नाम सोशल मीडिया पर ट्रेंड में है। ट्रेंड में इसलिए है क्योंकि ये पीएचडी करने के बाद कॉलेज के बाहर पकौड़े बेंच रहीं हैं। अब इनको कॉलेज के बाहर पकौड़े बेचना क्यों पड़ रहा है यह बड़ा सवाल है। खास बात यह है कि, डॉ. श्रतु सिंह दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहीं है और उनका आरोप है कि, उन्हें गैर कानूनी रूप से नौकरी से निकाला गया है। डॉ. श्रतु के समर्थन में अब कांग्रेस भी मैदान में उतर चुकि है और केंद्र सरकार पर निशाना साधने की कोशिश कर रहे है।

कौन हैं डॉ ऋतु सिंह?

डॉ. ऋतु सिंह दलित प्रोफेसर हैं। वो पहले डीयू के दौलत राम कॉलेज में साइकॉलोजी विभाग में एडहॉक प्रोफेसर रह चुकी हैं। उन्हें डीयू ने नौकरी से निकाल दिया। उनका आरोप है कि डीयू प्रशासन ने उनके साथ दलित होने की वजह से भेदभाव किया है। बताया जा रहा है कि ऋतु सिंह ने चार साल पहले दौलत राम कॉलेज की प्रिंसिपल सविता रॉय के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। नौकरी से निकाले जाने के बाद डॉ ऋतु सिंह धरना दे रही थी। प्रदर्शन के दौरान उन्हें गिरफ्तार भी किया गया।

जातिगत भेदभाव का लगाया आरोप

डॉ. ऋतु सिंह का आरोप है कि, जातिगत भेदभाव की वजह से उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। वो करीब एक साल तक असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर रहीं।

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‘पीएचडी पकौड़े वाली’ के नाम से खोला ठेला

रितु सिंह ने सोमवार को ‘पीएचडी पकौड़े वाली’ नाम के होर्डिंग से कवर करके रेहड़ी लगाई थी।इस ठेले में राहगीरों की खासी भीड़ जमा होने लगी। डीयू की पूर्व प्रोफेसर को रेहड़ी लगाकर पकौड़े तलते और बेचते हुए देख लोग भी हैरान और मोबाइल से विडियो, फोटो, सेल्फी भी लेने लगे।

कांग्रेस उतरी समर्थन में

कांग्रेस ने अपने अधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से पोस्ट कर लिखा है, इनका नाम डॉ. रितु सिंह है, जो दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थीं। डॉ. रितु का कहना है कि उनके साथ जातिगत आधार पर भेदभाव किया गया और नौकरी से निकाल दिया गया।

अपने साथ हुए इस अन्याय के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए ये पकौड़े बेच रही हैं और मोदी सरकार की युवा विरोधी नीतियों का विरोध कर रही हैं। मोदी सरकार में बेरोजगारी ने सारी सीमाएं लांघ दी हैं। हालात इतने बुरे हैं कि PhD करने के बाद भी युवा पकौड़े बेचने को मजबूर हैं। कांग्रेस बेरोजगारी के खिलाफ इस जंग में युवाओं के साथ है। हम युवाओं को न्याय दिलाकर ही रहेंगे। न्याय का हक, मिलने तक।

कांग्रेस नेत्री सुप्रिया ने कहा कि, डॉ. रितु सिंह, दलित समाज से आने वाली एक PhD स्कॉलर हैं, जो मोदी सरकार में पकौड़े बेचने को मजबूर हैं। लेकिन अमित शाह की दिल्ली पुलिस उन्हें पकौड़े भी नहीं बेचने दे रही है। ये मोदी सरकार के 10 साल का फलसफा है।

पवन खेडा ने कहा, PhD कर चुकी एक काबिल दलित लड़की को गैर कानूनी तरीके से नौकरी से हटाया गया है। भारत की बेटी को प्रधानमंत्री की सलाह मानते हुए आज पकौड़े बेचने पड़ रहे हैं। लेकिन उन्हें वो भी नहीं करने दिया जा रहा है। रितु जी की इस लड़ाई में कांग्रेस उनके साथ है।

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