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Jai Singh Agarwal controversial statement: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा। क्या कांग्रेस पार्टी इस हर को लेकर मंथन में डूबी हुई है तो वही उनके ही दल के नेता ने अब बयानों से राजनीति को गरमा दिया है। हम बात कर रहे हैं। कोरबा से कांग्रेस के नेता जय सिंह अग्रवाल की जो पिछली सरकार में मंत्री भी रहे अक्सर रानू साहू को लेकर विवादों से इनका नाम जुड़ा रहता था। हालांकि अब नाराजगी इतनी ज्यादा हो गई है कि उन्होंने आखिरकार अधिकारियों के नाम तक ले डालें जिन्होंने कोरबा का हाल बेहाल किया ।
अधिकारियों पर पूर्व मंत्री जयसिंह ने फोड़ा ठीकरा
अपने बयान में जय सिंह अग्रवाल ने कुछ अधिकारियों का जिक्र किया है। कहां है कि कुछ प्रशासनिक अधिकारी और कुछ पुलिस के अधिकारी थे उन्होंने कामों में व्यवधान भी डालें। जो काम सरकार से नहीं हुए उन्हें हमने उपक्रमों के माध्यम से भी पैसा स्वीकृत कराया। करोड़ों का काम भी शुरू हुआ लेकिन उसी कलेक्टर ने पैसा को रोक के काम को बाधित किया।
आगे अपने बयान में जय सिंह अग्रवाल ने पुलिस अधीक्षक तक का नाम ले डाला उन्होंने कहा कि एक पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा कोरबा को डुबाने में पूरी भूमिका अदा की। जय सिंह अग्रवाल ने रानू साहू पर भी निशाना साधा कहा कि रानू साहू जो भ्रष्टाचार के मामले में जेल में है उसने कोरबा को किस तरीके से बर्बाद किया। उसके बाद उन्होंने भोजराम पटेल का नाम लिया और कहा कि उसको तो एक सिपाही चलते रहे और करोड़ों का धन अर्जित किया । फिर एक अधिकारी आए उदय किरण उन्होंने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए कबाड़, कोयला और डीजल चोरी के धंधे को ज्यादा बढ़ावा दिया। प्रांत के गुंडों को लाकर बसाया गया इन लोगों ने कोरबा में साढ़े चार साल तक माहौल को बिगड़ दिया ।
जो बयान सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है उसमे उन्होंने क्या कहा है?
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में सभी ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा था। लेकिन मौजूदा चुनाव सेंट्रलाइज हो गया था। जयसिंह अग्रवाल ने आगे कहा कि जो जनादेश हमे मिला था, उसका सही आदर हमारी सरकार नही कर पायी। सरकार से मंत्रियों को जो पाॅवर मिलनी चाहिए थी….वो नही मिली। एक ताकत सेंट्रलाइज होके कुछ चुनिंदा लोगों के साथ पूरे 5 साल काम करती रही। मंत्री रहे जयसिंह अग्रवाल ने अपनी करारी हार का जिम्मेदार भी सूबे के मुखिया को बताया। उन्होने नाम लिये बगैर कह दिया कि कोरबा जिले में चुन चुनकर ऐसे अधिकारियों को भेजा गया, जो भ्रष्टाचार में लिप्त रहे। अवैध कार्यो को खुलेआम चलाया गया, जिससे जिले में कांग्रेस डैमेज हुई।”
आगे जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश भर के शहरी क्षेत्र में हम बुरी तरह से पिछड़ गए। सरकार ने किसानों पर ध्यान दिया, बेशक उनके काम भी हुए। लेकिन ऐसा लगता है कि हमारे मुखिया को कहीं ना कहीं यह विश्वास था कि ग्रामीण क्षेत्र की सारी सीट जीत लेंगे। शहरी क्षेत्र की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन यह भी गलत साबित हुआ। शहरों में विकास हुआ, लेकिन सारी शहरी क्षेत्र की सारी सीटों पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। गौरतलब है कि जिस तरह से साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के बड़े नेता और मंत्रियों को करारी हार का सामना करना पड़ा था। ठीक वैसी ही हार का सामना इस बार कांग्रेस के बड़े नेताओं को देखना पड़ा है। दोनों चुनाव के हार में बस अंतर इतना ही है कि करारी हार के बाद बीजेपी के नेता एक-दूसरे पर ठिकरा फोड़ते नजर नही आये थे। लेकिन दो फाड़ में बटी कांग्रेस में हार के बाद अब नेता सीधे मुख्यमंत्री पर ही हार का ठिकरा फोड़ते नजर आ रहे है
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