लाइफस्टाइल डेस्क, तोपचंद। सनातन धर्म में भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. किसी भी शुभ या मंगल कार्य की शुरुआत से पहले भगवान श्री गणेश की विधि विधान से पूजा अर्चना करने से वह कार्य सफलतापूर्वक संपन्न होता है. मान्यता है कि भगवान श्री गणेश की विधि विधान से पूजा करने से भक्तों के जीवन से संकट समाप्त हो जाते हैं और विद्या और धन की प्राप्ति होती है.
हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है, यह पर्व 10 दिन तक चलता है, जिसे गणेश उत्सव भी कहते हैं. आज भारत ही नहीं, बल्कि कई देशों में गणेश चतुर्थी के अवसर पर भगवान श्री गणेश की प्रतिमा विधि विधान से पूजा पाठ के बाद स्थापित की जाती है. इसके उपरांत प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है.
अगर आप भी गणपति बप्पा को घर पर आमंत्रित कर रहे हैं, तो कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना होगा. इन गलतियों को करने से बचना होगा, तभी बप्पा का विशेष स्नेह और आशीर्वाद आप प्राप्त कर सकेंगे।
गणपति की केवल एक प्रतिमा रखें
आप गणेशजी की पूजा-अर्चना के उद्देश्य से गणेश जी की प्रतिमा घर ला रहे हैं. इसलिए पूजा स्थल पर एक प्रतिमा ही रखें. पंडालों में गणेश जी की विशालकाय प्रतिमा लोगों के दर्शन के लिए लाई जाती है, जबकि पूजा के लिए एक छोटी प्रतिमा रखी जाती है. दो गणेश प्रतिमा की पूजा फलीभूत नहीं होती. वास्तु के अनुसार भी पूजा घर में एक देवता की केवल एक प्रतिमा होनी चाहिए. नई प्रतिमा लाने से पूर्व पुरानी प्रतिमा का विसर्जन कर देना चाहिए.
गणपति की प्रतिमा लाते समय सूंढ़ की दिशा पर अवश्य नजर रखें
घर पर पूजा करने के लिए लाई गई गणेशजी की प्रतिमा का सूंढ़ बायीं ओर होना चाहिए. मान्यताओं के अनुसार बाईं ओर मुड़ी सूंड वाले गणेश जी अपने भक्तों पर शीघ्र प्रसन्न होकर भक्त की सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. मान्यताएं यह भी है कि दाईं ओर मुड़े सूंड वाले गणेश जी पूजा में छोटी सी विघ्न से भी जल्दी रुष्ठ हो जाते हैं, मंदिरों में चूंकि पुरोहित विधि-विधान से पूजा करते हैं, इसलिए मंदिरों में अकसर दाईं ओर सूंड वाले गणेश जी का दर्शन हो जाता है.
गणपति की प्रतिमा इस तरह स्थापित करें
गणेश एवं शिव पुराण में वर्णित है कि भगवान गणेश के शरीर पर ब्रह्माण्ड की प्रत्येक वस्तु एवं गुण निवास करते हैं. उसी के अनुसार गणेशजी की पीठ पर दरिद्रता निवास करती है, इसलिए गणपति बप्पा की प्रतिमा की स्थापना पूर्व इस बात का ध्यान रखें कि उनकी पीठ के पीछे नहीं जाएं, और अगर गलती से चला जाता है तो उसे बप्पा से छमा याचना कर लेनी चाहिए.
पूजा एवं सजावट में रंगों का रखें विशेष ध्यान
अगर आप गणपति की प्रतिमा के लिए सजावट कर रहे हैं, तो ध्यान कर काले अथवा गहरे नीले रंगों का इस्तेमाल न करें. वास्तु शास्त्र के अनुसार यह नकारात्मक प्रभाव वाले रंग माने जाते हैं. गणेश जी को लाल रंग बहुत पसंद है, इसलिए सजावट एवं पूजा के लिए इन रंगों का इस्तेमाल ज्यादा करें. पूजा में लाल फूल, लाल चंदन, लाल सिंदूर आदि ही चढ़ाना चाहिए. माना जाता है कि इससे बप्पा का आगमन फलीभूत होता है.
पूजा स्थल पर गणेश परिवार को अवश्य स्थान दें
मान्यताओं के अनुसार गणेश जी अपने परिवार से विशेष स्नेह रखते हैं. उनके परिवार में प्रमुख हैं उनकी पत्नी ऋद्धि और सिद्धि, पुत्र शुभ और लाभ तथा उनकी सवारी मूषक राज. इनके बिना गणेश जी कहीं नहीं होते. गणेश जी के साथ इनकी भी पूजा-अर्चना करने के बाद ही परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है. इसलिए गणपति की स्थापना के साथ इनके लिए भी जगह अवश्य रखें, और इनकी भी पूजा अवश्य करें.
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