
रायपुर, तोपचंद। हर मुश्किलें पार कर लंबी यात्रा तय करके चंद्रयान-3 40 दिनों बाद 23 अगस्त की शाम 6:04 पर चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर ली। जिसके साथ भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। इस चंद्रयान मिशन में कई लोग शामिल थे। जिसमें से प्रदेश का एक बेटा भी शामिल है।
हम बात कर रहे हैं बिलासपुर में रहने वाले विकास श्रीवास की। इन्होंने भी चंद्रयान को चांद पर पहुंचने में अहम भूमिका निभाई है। विकास श्रीनिवास इसरो में इंजीनियर साइंटिस्ट है। चंद्रयान 3 के रॉकेट के ढांचा तैयार करने वाली टीम मे विकास शामिल हैं। विकास श्रीनिवास की माता-पिता के लिए कल का दिन बेहद अहम था। जिस दिन से चंद्रयान का मिशन शुरू हुआ है। उस दिन से ही उसके सफल होने की प्रार्थना कर रहे थे।
विकास की करियर जर्नी
सरकंडा के बंगाली पारा में रहने वाले उघानिकी विभाग से सेवानिवृत दिनेश श्रीवास के पुत्र विकास श्रीवास साल 2007 से तिरुवंतपुरम स्थित इसरो (ISRO) केंद्र में अंतरिक्ष वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत हैं. विकास के पिता ने बताया कि विकास की प्रारंभिक शिक्षा तखतपुर में हुई. वह बचपन से ही अंतरिक्ष विज्ञान में विशेष रूचि रखता था. इसके बाद हायर सेकेंडरी की पढ़ाई करने के लिए विकास ने सरस्वती शिशु मंदिर तिलक नगर में दाखिला लिया. फिर उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालय कोनी से मैकेनिकल ब्रांच में पूरी की.
इसके बाद विकास ने गेट परीक्षा के माध्यम से सफलता हासिल कर इसरो को अपना कार्य क्षेत्र बनाया. जहां वे 2007 से विकास तिरुवंतपुरम स्थित इसरो केंद्र में कार्यरत हैं. विकास चंद्रयान-3 में टीम मेंबर हैं. विकास ने बिलासपुर के साथ-साथ छत्तीसगढ़ का भी नाम रौशन कर दिया.
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