Electricity reached Elmagunda : छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के साथ समन्वय में काम करने वाली जिला पुलिस के प्रयासों से 14 अगस्त को यह काम पूरा किया गया. सोमवार को भारत की 77 वीं स्वतंत्रता दिवस की सालगिरह से ठीक एक दिन पहले छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के माओवाद प्रभावित सुकमा (Sukma) जिले में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है.
ये एक तरफ जहाँ ख़ुशी की बात है तो वही हैरान करने वाली बात ये है की आज़ादी के 77 साल बाद जहां देश चाँद और मार्स तक पहुंच चूका है यहां बिजली कैसे नहीं पहुंच पाई. हम बात कर रहे है एल्मागुंडा की। जी हाँ अब एल्मागुंडा में बिजली पहुंच चुकी है और घर आप बिजली के रौशनी से गजमजा उठे है.
बेहद मुश्किल के बाद पहुंच पाई बिजली
एल्मागुंडा ऐतिहासिक रूप से वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) की चपेट में रहा है। बिजली सेवा को गांव तक पहुंचाने के लिए कई बैठकें की गई। लोगों को जागरुक किया गया. तब जाकर यहां बिजली पहुंचाने का काम आसान हुआ। गांववालों के साथ मीटिंग में नक्सलियों से दूरी बनाए रखने की भी अपील की गई। बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी के मुताबिक एल्मागुंडा गांव में नक्सलियों की हिंसक गतिविधियों के कारण अब तक बिजली की व्यवस्था नहीं हो सकी थी।
CRPF के कर्मियों ने भी कार्य में दिया योगदान
Electricity reached Elmagunda : पुलिस अधिकारी ने कहा कि ग्रामीणों को नक्सलियों की गतिविधियों से अवगत कराने और उन्हें अपने गांव के विकास पर जोर देने के लिए मनाने के लिए उनके साथ बैठकें की गईं। ग्रामीणों से भी आग्रह किया गया कि वे नक्सलियों से दूरी बनाये रखें। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के कर्मियों ने भी इस कार्य में योगदान दिया।
जिला प्रशासन, पुलिस और अन्य एजेंसियों के प्रयासों से ग्रामीणों के चेहरों पर मुस्कान आ गई है और वे अब अपने जीवन में बदलाव देख रहे हैं। करीब छह महीने पहले एल्मागुंडा में सुरक्षा बलों का एक शिविर स्थापित किया गया था और इससे विकास कार्यों को गति मिली है।
Electricity reached Elmagunda : बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने कहा कि, इन दूरस्थ गांवों में सुरक्षा शिविर एकीकृत विकास केंद्र के रूप में भी काम कर रहे हैं। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर सुकमा जिले के एल्मागुंडा गांव में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम हुआ। पिछले साल नक्सली गतिविधि से मुक्त हुए गांव के परिवारों को बिजली कनेक्शन मिल गया है।
“एल्मागुंडा में पिछले चार वर्षों में सिक्योरिटी फोर्स के कैंप ने गेम चेंजर की भूमिका निभाई है। सुकमा के एल्मागुंडा के घरों में बिजली से विकास को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा. बच्चों की बेहतर शिक्षा हो सकेगी और स्थानीय आबादी को राज्य और देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने में मदद मिलेगी। सुरक्षा शिविरों को अशांत गांवों में ग्रामीणों का आत्मविश्वास बढ़ाने और नक्सलवाद को खत्म करने के लिए स्थापित किया गया था.जिसका असर दिख रहा है”।
—- किरण चव्हाण, एसपी, सुकमा
आवश्यक सुविधाओं का मार्ग भी प्रशस्त
पिछले कुछ महीनों में, एल्मागुंडा, टोंडामरका और बेद्रे सहित सबसे अधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कई पुलिस और सीआरपीएफ शिविर स्थापित हुए हैं। इन शिविरों ने न केवल कानून प्रवर्तन और स्थानीय आबादी के बीच पुल के रूप में काम किया है, बल्कि सड़क, बिजली और शैक्षिक संस्थानों जैसी आवश्यक सुविधाओं का मार्ग भी प्रशस्त किया है।
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