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रायपुर, तोपचंद। स्वास्थ्य विभाग ने कंजक्टिवाइटिस के बढ़ते मामले को देख रोकथाम के लिए स्कूल शिक्षा और आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग के संचालक को परिपत्र जारी किया है। स्वास्थ्य विभाग ने स्कूल, छात्रावास सभी जगह बचाव के लिए आवश्यक निर्देश प्रसारित करने को कहा है। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने बच्चों को इस संक्रमण के लक्षणों, उपचार और बचाव के बारे में जागरूक करने को कहा है।
प्रदेश में तेजी से फैल रहा आई फ्लू
महामारी नियंत्रण द्वारा स्कूल शिक्षा विभाग और आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग को जारी परिपत्र में कहा गया है कि प्रदेश में कंजक्टिवाइटिस (आई फ्लू ) तेजी से फैल रहा है। यह बीमारी एक दूसरे से संपर्क में आने से हो रही है। ये एक वायरल बीमारी है जो प्रदेश में तेजी से फैल रही है। प्रदेश में संचालित हो रहे स्कूल, आश्रम-छात्रावास में बच्चे समूह में रहते हैं जिसके चलते इस बीमारी ने रफ़्तार पकड़ ली है। स्वास्थ्य विभाग ने दोनों विभागों द्वारा संचालित संस्थाओं में इसकी रोकथाम के लिए आवश्यक निर्देश प्रसारित करने को कहा है.
कंजक्टिवाइटिस के लक्षण और बचाव की दी जानकारी
कंजक्टिवाइटिस ने अब प्रदेश में महामारी का रूप ले लिया है। महामारी नियंत्रण के लिए परिपत्र में कंजक्टिवाइटिस के लक्षणों, उपचार और इससे बचाव के बारे में भी जानकारी दी गई है। उन्होंने परिपत्र में कहा है कि कंजक्टिवाइटिस आंख की आम बीमारी है जिसे हम आँख आना भी कहते हैं. इस बीमारी में रोगी की आँख लाल हो जाती है, कीचड़ आता है, आंसू आते हैं, चुभन होती है तथा कभी-कभी सूजन भी आ जाती है।
मरीजों को दे सकते हैं एंटीबायोटिक ड्रॉप्स
कंजक्टिवाइटिस होने पर एंटीबायोटिक ड्रॉप जैसे जेंटामिसिन (Gentamicine), सिप्रोफ्लॉक्सिन (Ciprofloxacine), मॉक्सीफ्लॉक्सिन (Moxifloxacin) आई ड्रॉप आँखों में छह बार एक-एक बूंद तीन दिनों के लिए मरीज को देना चाहिए। तीन दिन में ये बीमारी ज्यादातर ठीक हो जाती है। पर ऐसा नहीं होने पर गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है। ऐसे में नेत्र विशेषज्ञ के पास दिखाना उचित होता है. नहीं तो गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है.
कंजक्टिवाइटिस को लेकर जरुरी सलाह
कंजक्टिवाइटिस की जांच एवं उपचार की सुविधा चिकित्सा महाविद्यालयों, जिला चिकित्सालयों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में निःशुल्क उपलब्ध है.कंजक्टिवाइटिस संक्रामक बीमारी है जो सम्पर्क से फैलती है. मरीज को अपनी आँखों को हाथ न लगाने की सलाह देनी चाहिए. रोगी से हाथ मिलाने से बचकर एवं उसकी उपयोग की चीजें अलग कर इस बीमारी के फैलाव को रोका जा सकता है. संक्रमित आँख को देखने से इस बीमारी के फैलने की धारणा केवल भ्रम है। यह बीमारी केवल सम्पर्क से ही फैलती है.
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