धर्म डेस्क, तोपचंद। Shani Jayanti 2023 : हमेशा की तरह इस वर्ष भी ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर न्याय के देवता भगवान शनि की जयंती मनाई जायेगी. हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन हिंदू धर्म के लोग नदी में स्नान-ध्यान करने के बाद सूर्य को जल अर्पित करते हैं.
इसके बाद शनि मंदिर में शनि देव के सामने सरसों तेल का दीपक जलाते हैं, यहां इस बात का जरूर ध्यान रखें कि शनि देव की पूजा करते समय उनकी आंखों में आंखें ना डालें, साथ ही पूजा दायें अथवा बाएं होकर करें, एकदम सामने नहीं. ऐसा करने से शनि की कुदृष्टि आपको परेशान कर सकती है. इसके बाद शनि स्त्रोत का पाठ करना चाहिए. मान्यता है कि शनि जयंती के दिन उनकी पूरे विधि-विधान से पूजा करने वालों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. ये 5 उपाए जरूर अपनाएं
गरीबों को काली वस्तुएं दान करें
परिवार में अगर कोई साढ़े साती या शनि की ढैय्या से परेशान है, तो शनि जयंती के दिन स्नानादि के पश्चात काली चीजों उदाहरण के लिए काले जूते, काला छाता, काली उड़द, काला तिल, काले वस्त्र आदि गरीबों को दान दें, मान्यता है कि इससे शनि देव प्रसन्न होते हैं, जिसकी वजह से जातक को काफी राहत मिलती है.
शनि दोष से मुक्ति के लिए ये उपाय करें
शनि देव के किसी भी दोष से छुटकारा पाने के लिए मंगलवार अथवा शनिवार के दिन हनुमान चालीसा अथवा सुंदरकांड का पाठ करवाने से भी शनि देव प्रसन्न होते हैं. इस दिन वृद्ध एवं गरीबों को वस्त्र एवं अन्न दान करने से शनि दोष दूर होते हैं.
कुंडली में शनि कमजोर हो तो ये कार्य करें
अगर आपकी कुंडली में शनि कमजोर है तो इसकी वजह से आपको तमाम किस्म की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. सबसे पहले आप अगर किसी गरीब, पशु अथवा वृद्धजनों को परेशान करते हैं तो ये कार्य छोड़ दें. कुंडली में शनि को सशक्त बनाने के लिए सात मुखी रूद्राक्ष को गंगाजल में धोकर धारण करें, इसके साथ-साथ शनि देव की पूजा करते समय निम्न मंत्र का जाप करें.
ऊं प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः’
इसका लाभ आप शीघ्र ही महसूस कर सकते हैं.
पीपल के वृक्ष की जड़ में जल चढ़ाएं
शनि जयंती के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान के पश्चात स्वच्छ वस्त्र पहनकर शनि देव का ध्यान करें. इसके बाद पहले सूर्य को फिर सूर्यास्त के पश्चात पीपल के पेड़ की जड़ में जल अर्पित करें. इसके बाद पीपल के पेड़ के चारों तरफ सात बार परिक्रमा करें. इसके पश्चात दीप जलाकर निम्न मंत्र का जाप करें.
ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनिश्चराय नम:
निम्न वस्तुएं बहती नदी में प्रवाहित करें
शनि जयंती के दिन स्नानादि के पश्चात सवा मीटर कपड़े लें, इसमें सवा किलो लाल चना, एक लोहे की कील और लकड़ी के कोयले का एक टुकड़ा बांधें. और घर के किसी वृद्ध व्यक्ति से इस बंधी हुई पोटली को अपने सर के चारों ओर घुमाकर किसी बहती जल की धारा में डाल दें, इसके बाद बिना पीछे देखें घर वापस आ जायें. यह कार्य करके दफ्तर अथवा बाजार ना जायें.
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