तोपचंद, कांकेर। कांकेर जिले के टेकामेटा गांव में रविवार को सर्व आदिवासी समाज का दल पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में मारे गए चार आदिवासियों के परिवार से मिलने पहुंचा था। इसमें प्रमुख रूप से सर्व आदिवासी समाज की ब्लॉक उपाध्यक्ष मैनी कचलाम, अजीत नुरूटी, केय कोरचा, कन्ना वड्डे, सोनसाय तिम्मा, सुरेश मेट्टामी, पेकाराम मेट्टामी, मंगेश वेड़दा, आंदेबाई कोवाची समेत बड़ी संख्या आदिवासी समाज के लोग मौजूद थे।
इस बीच पांच गांवों से आए हुए ग्रामीणों से बातचीत कर मैनी कचलाम ने छत्तीसगढ़ सरकार पर आदिवासियों को फर्जी मुठभेड़ में मारने का आरोप लगाते हुए सवाल उठाया है कि सरकारी योजनाओं का लाभ लेने वाले आदिवासी जो अपने घऱ परिवार के साथ गांव में रहते है।
उन्हें माओवादी बताकर मारना गलत है, जबकि सरकार को माओवादी और आदिवासियों में फर्क करना चाहिए। आदिवासी अपनी जरूरतों की पुर्ती के लिए जंगल जाते हैं और सुरक्षा बलों के द्वारा फर्जी मुठभेड़ में नक्सली बताकर मार दिया जाता है।
वहीं, सर्व आदिवासी समाज के छोटेबेठिया सर्कल के अध्यक्ष अजीत नुरूटी ने कहा कि नक्सली के नाम पर गोली मार दिये गए चारों आदिवासियों के परिवारों को आज देखने वाला कोई नहीं है। घऱ में कमाने वाले लोगों को पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में मार दिया। जबकि ये लोग काकुर गांव में गोटा पंडुम मनाने के लिए गए हुए थे। उन्होंने सरकार से इस मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने और मारे गए बेगुनाह आदिवासियों के परिजनों को उचित मुआवजा देने की मांग की है।
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