संसद में स्थापित हुआ सेंगोलः CM भूपेश ने कसा तंज, कहा- क्या लोकतंत्र से तानाशाह का हस्तांतरण हो रहा है?

तोपचंद, रायपुर। आज देश के नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। साथ ही इस नए संसद भवन में सेंगोल को भी स्थापित किया गया। कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों के तमाम नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों नए संसद भवन के उद्घाटन का विरोध कर रहे थे। उनकी मांग थी कि, इस नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति के हाथों हो।

नए संसद भवन के उद्घाटन और सेंगोल की स्थापना के बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि, जिस संगठन ने ज़िंदगी भर पंडित नेहरू का विरोध किया वह आज उन्हीं का साहरा लेकर अपना बचाव कर रहे थे।

उस समय अंग्रेज जा रहे थे इसलिए सत्ता का हस्तांतरण हो रहा था। आज कौन सी सत्ता का हस्तांतरण हो रहा है और किससे हो रहा है? क्या लोकतंत्र से तानाशाह का हस्तांतरण हो रहा है? क्या लोकतंत्र से राजतंत्र की ओर जा रहे है?

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पहलवानों की गिरफ्तारी पर बोले-

मुख्यमंत्री भूपेश ने पहलवानों की गिरफ्तारी को लेकर ट्वीट किया कि, “बेटियाँ” शक्ति का स्वरूप होती हैं. उस शक्ति से अगर वे देश का नाम ऊँचा कर सकती हैं, तो “अन्याय” के खिलाफ “न्याय” की लड़ाई भी लड़ सकती हैं. “शक्ति” के सामने “सत्ता” का प्रदर्शन कायरता है. और इतिहास चैम्पियनों का लिखा जाता है, कायरों का नहीं. जय हिन्द!

क्या है सेंगोल यानी की राजदंड की कहानी?

बता दें कि, सेंगोल को चोल राजवंश के समय से एक राजा से दूसरे राजा को सत्ता सौंपने का प्रतीक माना जाता है. चोल काल के दौरान राजाओं के राज्याभिषेक समारोहों में सेंगोल का बहुत महत्व था. इसमें बहुत ज्यादा नक्काशी और जटिल सजावटी काम शामिल होता था. सेंगोल को अधिकार का एक पवित्र प्रतीक माना जाता था, जो एक शासक से दूसरे शासक को सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक था. सेंगोल चोल राजाओं की शक्ति, वैधता और संप्रभुता के प्रतिष्ठित प्रतीक के रूप में उभरा.

आजाद भारत में इतिहास

अंग्रेजों से भारतीय हाथों में सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीकात्मक समारोह के बारे में चर्चा के दौरान वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से एक सवाल किया था. माउंटबेटन ने भारतीय परंपरा में इस महत्वपूर्ण घटना को दिखाने के लिए किसी उपयुक्त समारोह के बारे में जानकारी मांगी थी. पंडित नेहरू ने इसके बारे में सी. राजगोपालाचारी से सलाह मांगी. राजाजी के नाम से मशहूर सी. राजगोपालाचारी ने चोल वंश के सत्ता हस्तांतरण के मॉडल से प्रेरणा लेने का सुझाव दिया. राजाजी के मुताबिक चोल मॉडल में एक राजा से उसके उत्तराधिकारी को सेंगोल का प्रतीकात्मक हस्तांतरण शामिल था.

चोल मॉडल को अपनाने और सेंगोल के औपचारिक सौंपने को शामिल करके ब्रिटिश राज से भारतीय हाथों में सत्ता के हस्तांतरण को प्रतीकात्मक रूप से दर्शाया गया था. यह फैसला न्याय और निष्पक्षता के सिद्धांतों से शासित एक आजाद देश के रूप में बदलाव का संकेत था. यह भारत की प्राचीन परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत के लिए सम्मान को दर्शाता है.

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