झीरम घाटी जांच मामलाः CM भूपेश ने NIA और BJP से पूछा सवाल- रमन्ना और गणपति को क्यों बचा रहे?

तोपचंद, रायपुर। आज ही के दिन यानी कि 25 मई 2013 को बस्तर संभाग के झीरम में नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं और जवानों के काफिले पर हमला किया था। आज इस घटना को 10 साल पूरे हो गए है। इस घटना की जांच अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। कांग्रेस लगातार आरोप लगा रही है कि, जांच एजेंसी इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं कर रही और जांच करने भी नहीं दे रही। वहीं भाजपा पर भी जांच को रोकने और प्रभावित करने का आरोप लगा रही है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि, आज झीरम घाटी हमले की दसवीं बरसी है और श्रद्धांजलि देने जगदलपुर जा रहा हूं. भारतीय जनता पार्टी बहुत हल्के-फुल्के ढंग से यह आरोप लगाती है कि भूपेश बघेल के पास जो जानकारी है उसे कब देंगे। विषय बहुत गंभीर है लेकिन जिस ढंग से भारतीय जनता पार्टी सवाल कर रही है वह बेहद ही दुर्भाग्य जनक कर रहे और हास्यास्पद है. झीरम घाटी की घटना सभी को याद है. इस घटना से पूरा देश दहल गया था क्योंकि इतने बड़े राजनेताओं का नरसंहार विश्व के राजनीति के इतिहास में यह पहली बार हुआ है और इसी कारण से तत्कालीन यूपीए की सरकार ने एनआईए की जांच स्थापित की थी.

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राज्य सरकार ने उस समय जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया था. एनआईए की जांच शुरू हुई और उस समय जो f.i.r. किया गया उसमें रमन्ना और गणपति के नाम का उल्लेख था अगस्त 2014 तक गणपति और रमन्ना का नाम उसमे था।

संपत्ति कुर्क क्यों नहीं किया गया: CM भूपेश

इस बीच में रमन्ना और गणपति की संपत्ति कुर्क करने का आदेश भी हुआ हालांकि थोड़ी बहुत संपत्ति कुर्क की गई. सितंबर 2014 में प्रारंभिक रिपोर्ट एनआईए कोर्ट में प्रस्तुत किया गया. आश्चर्यजनक ढंग से रमन्ना और गणपति का नाम उसमें नहीं था. जो फाइनल रिपोर्ट सबमिट किया गया उसमें भी रमन्ना और गणपति का नाम नहीं था. सवाल इस बात का है कि मोदी और भारतीय जनता पार्टी की सरकार रमन्ना और गणपति को क्यों बचाना चाहती है. उससे पूछताछ क्यों नहीं की गई. उसकी संपत्ति कुर्क क्यों नहीं किया गया.

CM भूपेश ने आगे कहा कि, सबसे बड़ी बात यह है कि किसी रिपोर्ट में या किसी एफ आई आर में किसी का नाम दर्ज हो गया तो वह हटता नहीं है. भारतीय जनता पार्टी बताये कि उसका नाम क्यों हटा दिया गया? उन्हें क्यों बचाना चाहते हैं? आपका उद्देश्य क्या था? भारतीय जनता पार्टी इसका जवाब दें f.i.r. में नाम होने के बाद उन्हें हटाया क्यों गया?

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CM भूपेश ने कहा कि, दूसरी बात यह है कि, व्यापक षड्यंत्र को देखकर जाँच कर रहे थे. जैसे ही यूपीए की सरकार हटी और एनडीए की सरकार बनी, मोदी जी प्रधानमंत्री बने वो केवल दंडकारन्य कमिटी के ही घटना मानकर जाँच खत्म कर दिए. इन दो सवालों का जवाब दें भाजपा. हमने कई बार गृह मंत्रालय और NIA को पत्र लिखा. लेकिन जाँच आगे बढ़ नहीं रही है. किसके दबाव और किसके कहने से NIA के अधिकारी गणपति और रमन्ना के नाम हटाये है ये बताएं. जिस दिन केंद्र में हमारी सरकार बनेगी दूध का दूध और पानी का पानी होगा और जो षड्यंत्रकारी है जो अपराधी है उसका स्थान वहां मिल जायेगा.

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