
तोपचंद, रायपुर। देशभर में आज दलित शोषण मुक्ति मंच, छत्तीसगढ़ संयोजन समिति ने प्रदर्शन किया। दलित शोषण मुक्ति मंच का कहना है कि, जब से केंद्र और कई राज्यों में भाजपा की नेतृत्व वाली सरकारें सत्ता में आईं हैं, उनके द्वारा अपनाई जा रही कारपोरेट परस्त और साम्प्रदायिक नीतियों के कारण दलित अधिकारों और आजीविका पर लगातार हमले बढ़े हैं।
भाजपा सरकार नवउदारवादी नीतियों को लागू करने, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों और सार्वजनिक संपत्ति को बेचने, शिक्षा व स्वास्थ्य क्षेत्रों के निजीकरण को आगे बढ़ाने और मजदूर वर्ग, किसानों ,दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के अधिकारों पर निर्दयता से हमला करने में निरंतर आगे बढ़ रही है। दलित शोषण मुक्ति मंच के आव्हान पर 14 मार्च को देश भर में राज्यों की राजधानियों में प्रदर्शन के आव्हान के तहत रायपुर में अंबेडकर प्रतिमा के समक्ष प्रदर्शन किया गया।
इसे प्रदर्शन के दौरान सभा को दलित शोषण मुक्ति मंच के राज्य संयोजक वकील भारती, रतन गोंडाने, शेखर नाग, अखिलेश एडगर, माकपा नेता धर्मराज महापात्र, पवन सक्सेना, निसार अली, रवि बौद्ध, शशांक ढाबरे, रघुनंदन साहू, भंजन जांगड़े, डॉ नरेश साहू, सुमन घृतलहरे, गणेश सोनकर, अजय कन्नौजे, मारुति डोंगरे, अनिल कोरी, नंदा रामटेके, राजकुमार रामटेके, सुमन घृतलहरे,बीमा कर्मी नेता सुरेंद्र शर्मा, के के साहू, संदीप सोनी, गजेंद्र पटेल, दुर्गा बघेल ने संबोधित किया।
क्या है मांगे?
1.निजी क्षेत्रों में नौकरियों में अनिवार्य रूप से आरक्षण लागू किया जाए।
2.अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति के आरक्षण कोटा काम किये बगैर दलित मुसलमानों और ईसाइयों के लिए आरक्षण का विस्तार किया जाय।
3अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति उपयोजना को पुनर्स्थापित किया जाय और इसे अक्षरशः लागू किया जाय ।
4.पीओए अधिनियम को मजबूत किया जाय ।
5.निजीकरण बंद किया जाय एवं सभी संविदा और अस्थाई कर्मचारियों को नियमित किया जाय ।
6.नई शिक्षा नीति निरस्त किया जाय ।
7.संस्थागत हत्या के खिलाफ कठोर कानून बनाया जाय।
8.भूमि हदबंदी अधिनियम लागू करो और भूमिहीनों को भूमि वितरित करो ।
9.छत्तीसगढ़ में आदिवासी और ईसाई आदिवासी के बीच तथाकथित धर्मांतरण के नाम पर आपसी मनमुटाव व लड़ाई कराना बंद करो ।
10.छत्तीसगढ़ में सामाजिक बहिष्कार पर अंकुश लगाने हेतु राज्य सरकार कठोर कानून का निर्माण करे।
- 1950 के भूमि स्वामित्व मिशल सर्टिफिकेट के आधार पर जाति प्रमाण पत्र बनाने के नियम को सरल बनाया जाय ,ताकि जाति प्रमाण पत्र के असल हकदार को उनका अधिकार मिल सके ।