रायपुर। छत्तीसगढ़ की पहली “ट्रीमैन सिंड्रोम” से पीड़ित बेटी ‘राजेश्वरी’ महीने भर के इलाज के बाद राजधानी के अम्बेडकर अस्पताल से डिसचार्ज होकर अपने घर रवाना हो गई है। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव की पहल के बाद राजेश्वरी रायपुर लाई गई थी और यहां उसका इलाज चल रहा था। इस लाइलाज बीमारी से राजेश्वरी कभी छुटकारा तो शायद नहीं पा सकेगी लेकिन, हाँ डॉक्टरी इलाज से इस बीमारी को नियंत्रण जरुर रख जा सकता है।
परिवार की स्थिति को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने बच्ची को गोद लिया है, राजेश्वरी के इलाज से लेकर पढाई तक का खर्च अब टीएस सिंहदेव उठाएंगे। त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. मृत्यंजय शर्मा के अनुसार उनकी टीम ने दुर्लभ बीमारी से पीड़ित इस बच्ची की परेशानी को कम करने का हरसंभव प्रयास किया है। अब बच्ची लगभग 80% ठीक हो चुकी है, आगे घर में उचित देखभाल के साथ इस बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकेगा। रविवार को राजेश्वरी को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
क्या है ट्री मेन सिंड्रोम
“Epidermodysplasia verruciformis” यह जीन से संबंधित एक बीमारी है, जिसमें असाधारण ढंग की शारीरिक संरचनाओं का त्वचा के साथ विकास होने लगता है। जेनेटिक एंड रेयर डिसीज इंफॉर्मेशन सेंटर (GARD) के अनुसार इस बीमारी से पीड़ित सभी लोगों की ठीक-ठीक संख्या बताना मुश्किल है लेकिन अभी तक दुनिया भर में इस बीमारी के 200 से ज्यादा केस दर्ज किए जा चुके हैं। इसी संस्था के अनुसार मरीज को ऐसे में ठीक नहीं किया जा सकता हालांकि सर्जरी एक उपाय जरूर है। अगर इस बीमारी का सही से इलाज नहीं कराया जाता तो इसके कैंसर में बदलने की संभावना भी रहती है।
अभी तक के अनुभवों के आधार पर देखा जाए तो इस बीमारी के इलाज में सर्जरी भी पूरी तरह से कारगर नहीं है। ट्री मेन सिंड्रोम एक तरह का दुर्लभ रोग है। इसके इलाज के लिए बहुत ज्यादा धैर्य और लगातार उपचार की जरूरत होती हे। जबकि लोग अकसर अधीर होकर इलाज बीच में ही छोड़ देने की गलती कर बैठते हैं। इसके लिए कई बार आर्थिक हालात भी जिम्मेदार होते हैं। इस बीमारी में देखा गया है कि इलाज छोड़ने के बाद न सिर्फ फिर से पेड़ की छाल जैसी ये संरचनाएं बढ़ने लगती है बल्कि उगी संरचनाएं और भी मोटी होती है और वे पैरों तक कई जगहों पर शरीर में उग आती है।