राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, नई दिल्ली द्वारा अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग की शिकायतों के निराकरण के संबंध में रायपुर में कैम्प सीटिंग एवं जन सुनवाई
रायपुर। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने आईपीएस पवन देव के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज होने के बाद भी उनको दी गई पदोन्नति पर कड़ी नाराजगी जताई है।
राज्य गठन के बाद यह पहली बार था जब राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, नई दिल्ली द्वारा अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग की शिकायतों के निराकरण के संबंध में रायपुर में कैम्प सीटिंग एवं जन सुनवाई आयोजित की गई। सुनावी के दौरान विभिन्न मामलों में कुल `12.90 लाख की लंबित क्षतिपूर्ति प्रदान की गई ।
आईपीएस पवन देव के खिलाफ दायर यौन उत्पीड़न मामले में केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण द्वारा दिए गए स्टे के बाद उनको दी गई पदोन्नति पर भी आयोग ने कड़ी आपत्ति दर्ज की।
“अगर राज्य सरकार महिलाओं की सुरक्षा के प्रति संवेदनशील है, कामकाजी महिलाओं की, आईपीएस अधिकारी और एक कांस्टेबल के मामले में राज्य सरकार को चाहिए था की वो केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण के फैसले को चैलेंज करती,” राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की सदस्य डॉ ज्योतिका कालरा ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा।
2017 के मामले, जिसमे प्रसव के बाद डस्टबिन में गिरने से एक नवजात की मृत्यु हो गई थी, उस मामले में आयोग ने कहा की अगर यह घटना डाक्टर की लापरवाही से हुई है तो इसके लिए राज्य जिम्मेदार है। इस मामले में पीड़ित पक्ष को `2 लाख का मुवावजा दिया गया।
बस्तर में नक्सल घटनाओं में हुई मौतों के मामले में आयोग ने कहा की ऐसी घटनाओं का समय समय पर संज्ञान लिया जाता है और जरुरत पड़ने पर मुवावजा भी दिया जाता है। जहां लोग नहीं मिल पा रहे हैं उस स्थिति में उस राशी को फिक्स डिपाजिट कर के उन्हें बाद में देने का निर्देश दिया राज्य सरकार को आयोग ने दिया।