रायपुर। अकसर चुनावों में हमने देखा है कि बड़े बड़े तुर्रमखां, राजनैतिक धुरंधरों को पटखनी मिली है, तो दूसरी तरफ ऐसे लोग भी जीतकर आ जाते हैं जिनकी उम्मीद ना के बराबर होती है। लोकतंत्र में सबकुछ संभव है और हर असंभव को संभव बनाता है ‘वोट’, जनता जनार्दन का फैसला कभी कभी इतना रोचक हो जाता है कि खबर बन जाती है।
हाल ही में हुये पंचायत चुनाव के निर्णयों ने कई जगह चौकाया है। जहाँ सुदूर अंचल बस्तर में बेलारूस के एक प्रवासीय भारतीय ने पंच का चुनाव जीतता है तो कहीं जेल में बंद विचाराधीन कैदी चुनाव जीतकर आता है।
जी हाँ नरेंद्र यादव पेशे से बीएमएस डॉक्टर हैं। तिल्दा ब्लॉक के सड्डू के निवासी हैं।
यह पिछले बार के सरपंच है और सरपंच रहने के दौरान ही इनकी पत्नी ने आत्महत्या कर ली थी, जिस वजह ने नरेंद्र के ऊपर दहेज प्रताड़ना और पत्नी को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने के गंभीर आरोप लगे हैं। रायपुर केंद्रीय जेल में बंद नरेन्द्र यादव की गाँव में पकड़ मजबूत है इसका आकलन इस बात से लगाया जाता है कि उनके चाहने वालो ने उन्हें जेल से ही चुनाव लड़ने के लिए राजी किया उन्होंने चुनाव का पर्चा केवल भरा बाकि मोर्चा गाँव वालों ने ही सम्हाल लिया।
आज उनके चाहने वाले उनसे मिलने केंद्रीय जेल पहुँचें और उन्हें बधाई दी। इससे एक सवाल यह भी उठता है कि जेल में रहते हुवे पंचायत चुनाव तो जीत गए लेकिन कार्यभार कौन सम्हालेगा? इस सवाल का जवाब दिया नरेन्द्र यादव के वकील एन डी मानिकपुरी ने उन्होंने बताया कि अब
चुनाव जीतने के बाद हम कोर्ट में बेल के लिए अप्लाई करेंगे हमें कानून व्यवस्था पर पूरा भरोसा है। अभी नरेन्द्र की गैर मौजूदगी में कार्यकारी सरपंच कार्यभार सम्हालेंगे, अब कार्यकारी सरपंच का चुनाव होना है जो नरेन्द्र के बाहर आते तक सरपंच की भूमिका में रहेंगे। नरेंद्र के खिलाफ सरपंच के कुल पांच उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे जिसमें कुल 1540 मतों में 799 वोट पाकर 271 वोटों की लीड से नरेन्द्र ने चुनाव जीता है।
चलिए इसी बहाने जेल से चुनाव लड़ने का तमगा जो हिंदी पट्टी में केवल यूपी और बिहार के नाम था उस कुनबे में छत्तीसगढ़ का नाम भी जुड़ जायेगा