रायपुर। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के मदनवाड़ा में 2009 को हुए नक्सली हमले की अब राज्य सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश दे दिए है। मदनवाड़ा नक्सली हमले में आईपीएस वीके चौबे समेत 29 पुलिसकर्मियों को नक्सलियों ने मौत के घाट उतार दिया था। इसके न्यायिक जांच के लिए जस्टिस शम्भूनाथ श्रीवास्तव की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग का सरकार ने गठन किया।
इस घटना के बाद सूचना तंत्र और एसपी को बगैर पर्याप्त सुरक्षा और तथाकथित परिस्थिति बताकर भेजे जाने को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं। घटना की एफआईआर मानपुर थाने में दर्ज हुई थी, लेकिन राजनांदगांव में पदस्थ रहे तात्कालीन आईजी मुकेश गुप्ता और इंटिलेजेंस की भूमिका को लेकर भी सवाल खड़े होते रहे हैं। वैसे इस मामले की कई स्तर पर जांच हो चुकी है, लेकिन इस न्यायिक आयोग को 9 बिंदुओं पर जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
ये है जांच के प्रमुख बिंदु
- घटना किन परिस्थितियों में हुई?
- क्या घटना को घटित होने से बचाया जा सकता था?
- सुरक्षा निर्धारित प्रक्रियाओं और निर्देशों का पालन किया गया था?
- किन परिस्थितियों में एसपी और सुरक्षाबलों को अभियान में भेजा गया?
- हमले के बाद क्या एक्शन लिए गए,अतिरिक्त बल भेजा गया या नहीं?
- मुठभेड़ में माओवादियों को हुए नुकसान और उनके मरने और घायल होने की जांच
- सुरक्षा बल किन परिस्थितियों में घायल हुए अथवा मरे
- क्या घटना को रोका जा सकता था?
- घटना से पहले, उस दौरान और बाद में कौन से मुद्दे इससे संबंधित थे?
- राज्य और केंद्रीय फोर्स के बीच तालमेल था या नहीं?
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