रायपुर। सुनने में बड़ा अजीब लगा था ! निगम के अधिकारी जंगल बसाने कब से लग गए ? निगम अधिकारियों ने कहा कि यहां जंगल सफारी जैसा बनेगा..शेर, भालू लाएंगे लेकिन ग्रामीणों को क्या पता था शहर का कचरा और उससे आने वाली बदबू ही उनके नसीब होगी।
जी हां ! सकरी ट्रेचिंग ग्राउंड बनने की कहानी बड़ी दिलचस्प है। इसके बनने से पहले निगम अधिकारियों ने काफी आडंबर किया था। ट्रेचिंग ग्राउंड बनाने से पहले निगम के अधिकारियों ने स्थानीय लोगों से झूठ कहा था कि यहां निगम एक जू बनाने जा रही है। इसके लिए तार से फेनसिंग किया गया, पेड़ पौधे लगाए गये और फिर धीरे-धीरे कच्छवे की चल उसे ट्रेचिंग ग्राउंड का रूप दे दिया गया।
और जब पहली बारिश की बूंद पड़ी तो बदबू से परेशान ग्रामीणों ने जाकर देखा तो…वहां ट्रेचिंग ग्राउंड बनकर तैयार था। इसके बाद इसका विरोध हुआ, लेकिन सरकार और निगम के अधिकारियों ने इसका कोई समाधान नहीं निकाला। बदबू से परेशन आस-पास के ग्रामीणों के पास घर और जमीन बेच कर दूसरी जगह जाने के सिवा कोई रास्ता नहीं था। कुछ लोगों ने अपना मकान और जमीन बेचने की कोशिश की..लेकिन बदबू और बिमारियों का गढ़ बन चुके लाखों की सम्पत्ति की मांग ओने-पौने दाम में होनी लगी। ऐसे में उनके मेहनत की कमाई को जोड़कर रखने के लिए वहीं बदबू सूंघने के लिए स्थानीय मजबूर है। और निगम शहर का कचरा गांव में लाकर फेंकने में मस्त है।