रायपुर। प्रदेश में वन विभाग के काम-काज से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नाराज नजर आ रहे हैं। शायद यही वजह रही कि वन विभाग की परिचर्चा में सीएम ने बड़ी सख्ती से अधिकारियों को एक बात कही जिसकी चर्चा हो रही है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अधिकारियों से कहा कि वे जंगल के मालिक नहीं है। वहां रहने वाले वनवासी हैं। अधिकारी इस बात को न भूलें। उन्होंने एनजीओ को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि एनजीओ से भी सहयोग सरकार को नहीं मिल रहा है।
शुक्रवार को वन विभाग की ओर से नया रायपुर के आरण्य भवन में “वन आधारित जलवायु सक्षम आजीविका की दिशा में क्रांतिकारी बदलाव” पर राज्य स्तरीय परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस परिचर्चा में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अलावा मंत्री प्रेमसाय टेकाम के अलावा वन अमला, पर्यावरण विशेषज्ञ , जल विशेषज्ञ के साथ समिति के अनेक सदस्य मौजूद थे।
मुख्यमंत्री ने इस परिचर्चा में कहा कि “यह हमारी जिम्मेदारी है की वनवासियों की जीवन शैली बेहतर हो। जंगल को बचाने के साथ साथ वनवासियों की प्रति व्यक्ति आय बढ़ाना हमारा लक्ष्य है। आज जंगल में इंसान तो क्या जानवर भी नहीं रह पा रहे है, जंगल से हाथी, बन्दर, शेर बाहर जा रहे हैं। उनकी आवश्यकता की पूर्ति जंगल में नहीं हो पा रही। इसकी वजह जलवायु परिवर्तन, दोहन है। इनकी आवश्यकता कि पूर्ति की जिम्मेदारी हमारी है।“
उन्होंने यह भी कहा “जशपुर और बस्तर में चाय और काफी के उत्पादन की कोशिश करनी चाहिए। और साथ साथ गौठान पर भी ध्यान दिया जाए क्योंकि गौठान होगा तो लोगों को ज्यादा से ज्यादा काम मिलेगा। आदिवासियों के खेतों में भी सिंचाई की व्यवस्था होनी चाहिए।