रायगढ़। कलेक्टरी छोड़ भाजपा का दामन थामने के बाद ओपी चौधरी का पटखनी खाने का दौर थम नहीं रहा, उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल के रणनीति कौशल के आगे खरसिया जिसे भाजपा का किला माना जाता है जहाँ कभी नंदकुमार के आगे भाजपा के पितृपुरुष माने जाने वाले स्व लखीराम अग्रवाल अपना खूंटा नहीं गाड़ सके ठीक उसी प्रकार अब उनके बेटे उमेश पटेल के आगे ओपी चौधरी लगातार पटखनी खा रहे हैं।
भाजपा का बड़ा किला माना जाता है खरसिया शहर
खरसिया शहर भले ही छोटा सा शहर है लेकिन प्रदेश की राजनीति में बड़ा दबदबा रखता है। दोनों बड़े पार्टियों के शीर्ष चेहरे में खरसिया का चेहरा जरूर शामिल होता है। 18 वार्डों के इस शहर में स्व लखीराम का परिवार पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल, प्रदेश भाजपा के महामंत्री गिरधर गुप्ता, प्रदेश भजयुमो के कोषाध्यक्ष कमल गर्ग, रायगढ़ जिला उपाध्यक्ष श्रीचंद रावलानी, जिले के कोषाध्यक्ष बजरंग अग्रवाल जैसे बड़े कद्दावर नेता भाजपा की कमान सम्हाले रहते हैं, वहीं इन सभी बड़े कद्दावर नेताओं के आगे अभी वर्तमान में काँग्रेस के एक मात्र चेहरे हैं उमेश पटेल जोकि लंबे संघर्ष और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद इन सभी पर भारी ही पड़े हैं।
क्यों बड़ा हुआ खरसिया का नगर पालिका चुनाव
पिता नंदकुमार और बड़े भाई की शहादत के बाद नए नए राजनीति में आए उमेश पटेल को पिछली नगर पालिका चुनाव में अपने ही पार्टी के सीनियर लोगों से जूझना पड़ा जिसका परिणाम भी वैसा आया 18 वार्डों में केवल 2 वार्ड काँग्रेस के खाते में गयी, काँग्रेस का अध्यक्ष उम्मीदवार 3000 वोटों से हार मिली। अब इस बार उमेश विधायक से मंत्री बन चुके थे और पांच साल विधायकी के सफर ने उन्हें बहुत कुछ सिखला दिया था। इस बार उमेश के रणनीति के आगे भाजपा शुरू से नतमस्तक नजर आयी। जो भाजपा कभी काँग्रेस को आपस में भिड़वाने में सफल रहती थी, आज वही भाजपा में शुरुआत से ही सिर फुटौवल की नौबत बनी रही। बड़े दिग्गज उद्योगपति परिवार भी सड़क पर लड़ते नजर आ रहे थे। धनाढ्य बस्ती खरसिया जिसे कुबेर की नगरी कहा जाता है। वहाँ इस बार बुद्धिबल के आगे धनबल नहीं टिक सका। टिकट वितरण के साथ ही उमेश पटेल की मंशा और उनका गणित सब समझ चुके थे। भाजपा के प्रभारी ओपी चौधरी अपने लिए जमीन खोज पाते उससे पहले ही चुनाव परिणाम को लेकर पूरा शहर आस्वस्थ हो चुका था कि इस बार उमेश पटेल ही खूंटा गाड़ने वाले हैं, हुआ भी यही और इस बार 2 निर्दलीयों के साथ 12 वार्डों में काँग्रेस जीत कर आयी और नगर पालिका में कब्जा जमा लिया है वहीं भाजपा के बड़े बड़े कद्दावर नेता अपना खुद का पोलिंग बूथ नहीं बचा सके और भाजपा केवल 4 वार्डों में सिमट कर रह गयी। इस चुनाव के बड़े चेहरे रहे सुनील शर्मा जोकि पिछली बार काँग्रेस के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी थे और 3000 वोटों से मात खाए थे इस बार अध्यक्ष महिला सीट आरक्षित होने के कारण उन्होंने अपनी धर्मपत्नी को चुनाव मैदान पर उतारा था जोकि इस बार खरसिया के सभी वार्डों में से ज्यादा लीड से जीतकर आयी है और अब अध्यक्ष का दावेदार इन्हें ही माना जा रहा है। वहीँ खरसिया विधानसभा के किरोड़ीमल नगर पंचायत के 15 वार्डों में से 10 पर कांग्रेस ने कब्ज़ा जमाया और बीजेपी 5 पर ही सिमट कर रह गयी।