रायपुर। आज आपकी मर्जी के बगैर कोई शादी कर ले..तो आप परिवार के हर सदस्य को पानी पीला दें। सोचिए 2019 में आपको पता चले किए आपकी शादी फिक्स हो गई है। वो भी तब हुई है जब आप मम्मी के पेट में थे। गर्भ में जब आपकी आंखें होठ सर बन रहे थे.. तब आपके सर पर सेहरा सजाने और मांग में सिन्दुर भरने का इंतजाम आपके मातापिता ने कर दिया है। सोचो ऐसा हो तो क्या हो।
आपके लिए कुछ नहीं होगा मगर इनके साथ ऐसा ही होता है।
छत्तीसगढ़ के जांजगीर जिले के सुकली गांव में ऐसी ही समाजिक कुरीतियां देखने को मिल रही है। जिले के सुकली गांव में सबरिया नामक जनजाति रहती है। जिनकी आबादी 2 से 3 हजार के करीब है। इन सबरिया जनजाति के लोगो के लिए शादी ब्याह आज भी कानून से परे हैं। इनके परिवारों में माँ के कोख से ही बेटे के लिए बहु और बेटी के लिए वर तय कर लिया जाता है।
सबरिया समाज के लोगों का कहना है कि बच्चों का विवाह जल्दी कर दिया जाता है, ताकि वे अपनी जिम्मेदारी समझें और कमाने लगे। हालांकि समय के साथ कुछ परिवर्तन समाज में आए हैं,मगर अभी भी कुरीतियां सबरिया समाज में कायम हैं।
सुनने में यह अजीब तो है,पर सच्चाई यही है कि आज भी ये जनजाति अपने पूर्वजों की बनाई परंपरा को ही मानते आ रही है। आज के दौर में जहां बाल विवाह को जुर्म माना जाता है,वहां ये बच्चों के होश संभालने के पहले ही उनका रिश्ता तय कर देते है। इन कुरीतियों को देखते हुए सवाल यहीं उठता है, कि जहां शासन प्रशासन बाल विवाह को लेकर कड़े नियम बना रहा है,वहां इस समाज की अनदेखी क्यों कर रहा है? महिला बाल विकास जो बाल विवाह रोकने के दावें करता है, पर हकीकत तो कुछ और ही नजर आती है।