रायपुर। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की तुलना जिन्ना और सावरकर से की है। इस राजनीतिक ट्वीट को लेकर एक बच्चे ने उन्हें धमकी देते हुए लिखा है कि अपने आप को गांधी मत समझना। क्योंकि अभी गोडसे बहुत हैं इंडिया में।। जो इंडिया के लिए आप जैसे कई गांधी को रास्ता दिखा सकते हैं।
इस पर टीएस सिंहदेव ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि “मैं उस बच्चे से जरुर मिलना चाहूँगा।। जानना चाहूँगा कि इतने हिंसक विचार कैसे और कहाँ से आए।। द्वि राष्ट्र का सिद्धांत सावरकर और जिन्ना का था।। महात्मा गांधी ने इसका विरोध किया था और उनकी हत्या हुई।। मैं रिषभ वर्मा से जरुर बात करना चाहूँगा।”
सदन में नागरिक संसोधन बिल पास होने के बाद टीएस सिंहदेव ने विरोध स्वरुप ट्वीटर पर लिखा था कि “मोदी और अमित शाह आधुनिक समय के जिन्ना और सावरकर हैं जो एक बार फिर से हमारे सामाजिक ताने-बाने को धार्मिक तर्ज पर बांटना चाहते हैं। वे “भारत के विचार” के लिए खतरा हैं। हम उनके विभाजनकारी एजेंडे को कभी सफल नहीं होने देंगे। भारत उन्हें हरा देगा!”
टीएस सिंहदेव की इस ट्वीट के बाद कमेन्ट के तौर पर आयी रिषभ वर्मा के खिलाफ अंबिकापुर जिला कांग्रेस कमेटी ने कार्यवाही की मांग की है, उन्हों ने थाने में जाकर आवेदन दे दिया है, आवेदन में रिषभ के विरुद्ध अपराध दर्ज करने और उसे गिरफ़्तार करने की बात लिखी गई है।
हालांकि इसे लेकर रिषभ ने ट्वीटर पर ही माफ़ी मांगी है, उसने लिखा है कि “ माननीय मंत्री जी मेरा आपको दुःख पहुँचाने का कोई उद्देश्य नहीं था। मेरा आज तक किसी अपराधिक गतिविधियों में दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं रहा हैं। अगर मेरे शब्दों से आपको किसी भी तरह का ठेस लगा है उसके लिए मैं छमा प्रार्थी हूं।
नागरिक संसोधन बिल को लेकर क्यों हो रहा विवाद?
विपक्षी पार्टियों का कहना है कि यह विधेयक मुसलमानों के ख़िलाफ़ है और भारतीय संविधान के अनुच्छेद-14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन करता है।
बिल का विरोध यह कहकर किया जा रहा है कि एक धर्मनिरपेक्ष देश किसी के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव कैसे कर सकता है?
भारत के पूर्वोत्तर राज्यों असम, मेघालय, मणिपुर, मिज़ोरम, त्रिपुरा, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में भी इस विधेयक का ज़ोर-शोर से विरोध हो रहा है क्योंकि ये राज्य बांग्लादेश की सीमा के बेहद क़रीब हैं।
इन राज्यों में इसका विरोध इस बात को लेकर हो रहा है कि यहां कथित तौर पर पड़ोसी राज्य बांग्लादेश से मुसलमान और हिंदू दोनों ही बड़ी संख्या में आकर बसे हैं।
आरोप ये भी है कि मौजूदा सरकार हिंदू मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिश में प्रवासी हिंदुओं के लिए भारत की नागरिकता लेकर यहां बसना आसान बनाना चाहती है।
ये भी आरोप है कि सरकार इस विधेयक के बहाने एनआरसी लिस्ट से बाहर हुए अवैध हिंदुओं को वापस भारतीय नागरिकता पाने में मदद करना चाहती है।