प्रमोशन में रिजर्वेशन, राज्य सरकार के इस फैसले पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दिया है। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच नंबर वन ने इस मामले की सुनवाई करते हुए इस फैसले पर स्टे लगा दिया है। हाईकोर्ट के द्वारा राज्य सरकार को 20 जनवरी तक की तारीख़ दी गई है। 20 जनवरी को इस मामले पर दूबारा बहस होगी।
बीते दिनों 2 दिसंबर को राज्य सरकार ने हाईकोर्ट से इस मसले पर अपनी गलती स्वीकार करते हुए कहा था कि- प्रमोशन के लिए नियम बनाते समय अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के नियमों का ध्यान नही रखा था। यह गलती 2 सप्ताह में ठीक कर लिया जाएगा।
चीफ़ जस्टिस रामचंद्रन और जस्टिस पी पी साहू की डिवीजन बेंच नम्बर वन ने इस मामले की सुनवाई किया है। एचसी को राज्य की ओर से दिए गए जवाब से संतुष्टि नहीं हुई और हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के आदेश पर स्टे लगा दिया है।
राज्य सरकार ने 22 अक्टूबर को प्रमोशन में आरक्षण लागू करने का नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसके अनुसार अनुसूचित जनजाति को 32% और अनुसूचित जाति को 13% आरक्षण दिया गया था। राज्य सरकार के इस फैसले पर विष्णु प्रसन्न तिवारी और गोपाल सोनी ने याचिका दायर करते हुए इस नोटिफिकेशन को गलत बताया था। हाईकोर्ट से इस फैसले को रद्द करने की मांग भी की गई थी।
आरक्षण आधार पर प्रमोशन के मामले पर सुप्रीम कोर्ट का निर्देश सर्वोपरि है जिसमें जरनैल सिंह के केस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है-प्रमोशन में आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। क्रीमीलेयर को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ध्यान में रखकर छत्तीसगढ़ उच्चन्यायालय ने भी कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का ध्यान रखा जाए।