प्रदेश सरकार से इन दिनों डाकिया परेशान है, वह मुख्यमंत्री की चिट्ठी का डाक लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय जाता है। लौटकर चिठ्ठी लाता है तो फिर एक चिट्ठी भेज दी जाती है।
4 चिठ्ठियां भूपेश बघेल अब तक प्रधानमन्त्री मोदी को लिख चुके हैं।
सारे पत्रों का मजनून यह है कि राज्य सरकार किसानों को 2500 ₹ देना चाहती है। कृपा करके नियमों को शिथिल किया जाए।
उस नियम को जिसमें यह कहा गया है कि समर्थन मूल्य यानी 1815/1835 ₹ से अधिक की धान खरीदी करने पर। धान की मिलिंग के बाद बना चावल केंद्र सरकार नहीं खरीदेगी।
मुख्यमंत्री कह रहे हैं जब आपने रमन सिंह सरकार को नियमों में छूट दी तब कांग्रेस सरकार को नियमों में छूट क्यों नहीं दी जा रही
केंद्र से जवाब आ रहा है कि, नियमों में छूट नहीं दी जा सकती। बाजार असंतुलित हो जाएगा।
अब भूपेश बघेल सरकार के सामने संकट है उन्होंने वादा तो 2500 ₹ देने का किया था, फिर क्या किया जाए कि किसानों को 2500 भी मिल जाये और केंद्र सरकार छग का चावल भी खरीद ले।
सरकार ने इसका उपाय निकाला है। सरकार 1815/1835 ₹ में ही धान खरीदेगी।
यानी किसानों के खाते में धान बेचने के बाद 1815 मोटे धान का और 1835 पतले धान का आएगा।
अब सवाल यह कि बाकि के बचे 685 रुपये कहाँ से आएंगे।
सरकार इसके लिए न्याय योजना ला रही है
सीएम भूपेश बघेल किसानों के साथ न्याय होगा कहकर इसके संकेत दे चुके हैं।
यानी किसानों के धान बेचने के बाद सरकार के पास पूरा आंकड़ा होगा कि किस किसान ने कितना क्विंटल धान बेचा।
प्रति क्विंटल 685 ₹ के हिसाब से सरकार किसानों के खाते में
( किसान न्याय योजना ) के नाम पर धनराशि भेजेगी।
अब अंतर क्या आया
अंतर यह आया कि केंद्र यदि नियमों को शिथिल कर देती तो किसानों को एक बार मे 2500 ₹ मिलते
अब पहले 1815 और बाद में 685 ₹ मिलेंगे
कहने को वादा पूरा भी हुआ और केंद्र के नियम न बदलने की वजह से जाम होने वाला चावल भी केंद्र खरीद लेगा।
हालांकि किसान न्याय योजना का पूरा खाका कैसा होगा इसकी घोषणा सरकार कुछ दिनों में कर सकती है।
अब आपके मन मे सवाल आ रहा है कि
सरकार ने पहले ही ऐसा क्यों नहीं कर दिया । क्यों आंदोलन, सांसदों का घेराव, दिल्ली तक जाकर आंदोलन करने की बात सामने आई।
वह इसलिए कि राजनीति में परसेप्शन बहुत मायने रखता है। भूपेश बघेल सरकार किसानों से समर्थन पत्र लेने के बहाने यह बताना चाहती थी कि मोदी सरकार किसानों का धान 2500 में खरीदने से रोक रही है। और प्रदेश की सरकार किसानों को 2500 ₹ देना चाहती है।