प्राचीन काल से जड़ीबूटियों से इलाज के प्रथा चली आ रही है। कहा जाता है कि हर तरह की बिमारी का इलाज जड़ीबूटियों से संभव है। जड़ीबूटियों से इलाज करने वाले वैद्य आज भी प्रदेश में बड़ी संख्या में मौजूद है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इन्ही वैद्यों के ज्ञान को, जड़ीबूटियों के प्रयोगों एवं संरक्षण को पूरे प्रदेश में पहुंचाने के लिए “ट्रेडिशनल मेडिसिन बोर्ड” के गठन की घोषणा की है।
सीएम बघेल ने कहा कि जिस तरह से एलोपैथिक डॉक्टर एमबीबीएस के बाद मेडिसिन में एमडी या सर्जरी में एमएस कर विशेषज्ञता हासिल करते हैं, उसी तरह कौन से वैद्य किस विशेष बीमारी का इलाज करने में दक्ष है, इसकी भी जानकारी संकलित की जानी चाहिए । ट्रेडिशनल मेडिकल बोर्ड (परंपरागत औषधि बोर्ड) वैद्यों के ज्ञान का दस्तावेजीकरण, लिपिबद्ध करने का कार्य करेगा। छत्तीसगढ़ में हजारों वर्षों से वैद्य द्वारा जड़ी-बूटियों से परंपरागत रूप से इलाज किया जा रहा है,लेकिन यह आज भी पिछड़ा हुआ है साथ साथ बहुत से वैद्य के साथ ही उनका ज्ञान भी समाप्त हो गया। लेकिन अब उनके ज्ञान का दस्तावेजीकरण किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ वन संपदा से परिपूर्ण है और हमारे वनों में वनौषधियों का विशाल भंडार है। ग्रामीण बहुमूल्य जड़ी-बूटियों को हाट- बाजारों में पसरा में औने पौने दाम पर बेच देते हैं। सरकार यह भी चाहती है कि लोगों को जड़ी बूटियों का सही मूल्य मिले ।