विधानसभा सत्र के शुरू होने से पूर्व गुरुवार को विधानसभा में भूपेश कैबिनेट की बैठक हुई। इस बैठक में में राम वन गमन पथ को पर्यटन के दृष्टी से तैयार करना और तीर्थस्थल केंद्र के रूप में विकसित करना कैबिनेट का एतिहासिक फैसला लिया गया। कोरिया जिले से लेकर बस्तर तक छत्तीसगढ़ सरकार राम पथ गमन के रूप में विकसित करेगी।

बता दें की एतिहासिक साक्ष्य और उपलब्ध जानकारी के अनुसार राम की माता कौशल्या छत्तीसगढ़ की चंदखुरी की थीं। चंदखुरी को विकसित पर्यटन में बदलने के लिए पहले ही निर्णय लिया जा चूका है। छत्तीसगढ़ के इतिहासकार बताते हैं कि राम ने 14 वर्ष के वनवास काल में 12 वर्ष छत्तीसगढ़ में बिताये हैं। ऐसे ही सरकार राम पथ गमन को चिन्हांकित कर उसे विकसित करेगी।

छत्तीसगढ़ के द्वितीय अंग्रेज अधीक्षक रिचर्ड जेनकिंस सन 1824 में राजिम की यात्रा कर महात्मय लिखे हैं, जो एशियाटिक रेसर्चेस जर्नल में सन 1825 में प्रकाशित हुआ था। इसके अनुसार श्रीराम अश्वमेध यज्ञ के समय भी राजिम आये थे अर्थात वे दो बार राजिम आये । इतिहास में बिखरी इन सभी कड़ियों को पिरोकर राजिम और छत्तीसगढ़ के महात्मय को स्थापित करने का उपयुक्त समय आ गया है।छत्तीसगढ़ अस्मिता प्रतिष्ठान और राम वन गमन शोध संस्थान के विद्वानों ने इस दिशा में सार्थक प्रयास किये हैं किन्तु इस अभियान के मुखिया विद्वान् डॉ मन्नूलाल यदु जी के दिवंगत होने से अभियान ठहर सा गया है ।जिसमें पुनः प्राण फूंकने की आवश्यकता थी। लेकिन अब कैबिनेट में राम गमन पथ को मंजूरी मिलने के बाद यह काम प्रदेश की भूपेश सरकार करने जा रही हैं।