राज्य की भूपेश सरकार को बिलासपुर हाईकोर्ट से एक बड़ा झटका मिला है । दंतेवाड़ा के पूर्व बीजेपी विधायक भीमा मंडावी की हत्या मामले में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) को जांच के आदेश मिल गए है । अब इस मामले में केस की डायरी राज्य की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) एनआईए को सौंपेगी ।
इस मामले में शासन की अपील को चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन और जस्टिस पीपी साहू के युगलपीठ ने खारिज कर दिया है। इससे पहले जस्टिस आरसीएस सामंत की एकलपीठ ने राज्य शासन व राज्य पुलिस को हत्याकांड से संबंधित दस्तावेज एनआईए को सौंपने का आदेश दिया था, इसके खिलाफ अपील में कहा गया था कि राज्य पुलिस को ही इस मामले की जांच करने दी जाए। अब इसे मानने से कोर्ट ने इंकार कर दिया और जांच का जिम्मा एनआईए को ही सौंपा गया है।
13 नवंबर को कोर्ट ने इस मामले में फैसला अपने पास रख लिया था। इस दौरान एनआईए के वकील किशोर भादुड़ी ने बताया कि सुनवाई के दौरान राज्य शासन की तरफ से महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने ऑब्जेक्शन किया। उनका कहना था कि जांच काफी भीतर तक पहले ही राज्य की पुलिस कर चुकी है, ऐसे में यह केस राज्य के पास ही रहना चाहिए। इस पर न्यायालय ने पूछा कि तो क्या आप अपराधी का नाम आप बता सकते हैं। इस पर महाधिवक्ता ने जवाब दिया कि अपराधी का नाम अब तक पता नहीं चला है। तब कोर्ट की तरफ से कहा गया कि ऐसे आप यह कैसे कह सकते हैं कि जांच काफी भीतर तक हुई। दोनों ही पक्षों की दलील सुनकर फैसला सुरक्षित रख लिया गया था ।
जानकारों का कहना है कि यदि यह जांच एनआईए करती है तो मुमकिन है कि राज्य पुलिस की कमियां सामने आएं, यही वजह थी कि सरकार इस कोशिश में थी कि जांच राज्य पुलिस के पास ही रहे। भीमा मंडावी ने 2018 विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीता था। दंतेवाड़ा की विधानसभा सीट से वह विधायक बने। बस्तर संभाग से भाजपा को जिताने वाले अकेले नेता थे। 2019 लोकसभा चुनावों की तैयारी के दौरान 9 अप्रैल को दंतेवाड़ा के नकुलनार के पास आईईडी ब्लास्ट में भीमा मंडावी और उनके ड्रायवर समेत तीन सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई थी। हाल ही में इस सीट पर हुए उपचुनावों में कांग्रेस को जीत मिली, भीमा की पत्नी ओजस्वी को भाजपा ने चुनावी मैदान में उतारा था।