छत्तीसगढ़ की ऊर्जाधानी कोरबा में बिजली उत्पादन करने वाली विद्युत कंपनियों को कोयला संकट का सामना करना पड़ रहा है। बता दें कि कोरबा में सबसे अधिक बिजली उत्पादन करने वाली हसदेव पावर प्लांट को कुसमुंडा कोयला खदान से पर्याप्त कोयला प्राप्त नहीं हो रहा है। जिसके कारण हसदेव पवार प्लांट की एक यूनिट को बंद कर दिया गया। जिले के दूसरे बिजली पवार प्लांट पर भी संकट छाया। कंपनियों को आवश्यकता से कम मात्राओं में कोयला मिल रहा है। मड़वा का पवार प्लांट तो पहले से ही बंद पड़ा हुआ है। कोयले की उपलब्धता बहुत कम है, इससे एनटीपीसी और सीपत बिजली केंद्र पर भी संकट बना हुआ है। कंपनियों को सयंत्रों पर लोड कम करना पड़ रहा है।
अरबों रुपये का नुकसान हो रहे इन कंपनियों को एसईसीएल से आवश्यक मात्रा में कोयला नहीं मिल रहा है। एसईसीएल कुसमुन्डा से एचटीपीपी को कोयला सप्लाई होना बंद हो गया है। कंपनी के स्टॉक में रखे कोयला का उपयोग आपातकालीन स्थिति के लिए रखा गया है। जिससे अभी वर्तमान में तीन यूनिट को चलाया जा रहा है। लेकिन जल्द ही यह स्टॉक भी शून्य हो जायेगा।
बता दें कि मानिकपुर खदान से कोयला नहीं मिलने से मड़वा का एक यूनिट बंद है और हसदेव ताप सयंत्र के पांच यूनिट में तीन यूनिट पर ही बिजली उत्पादन किया जा रहा है। एचटीपीपी पवार प्लांट से 1340 मेगावाट बिजली उत्पादन होता था जबकि अब वहां 652 मेगावाट ही उत्पादित हो पा रहा है। हसदेव पवार प्लांट का तीसरा यूनिट कोयले की कमी से बंद किया गया था। कोयले का यह संकट धीरे – धीरे सभी बिजली घर को प्रभावित कर रहा है।
कुछ सामान्य जानकारी – 626 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला कोरबा का कोलफील्ड छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा क्षेत्र है। जहां 1 लाख 51 हजार 432 टन कोयले का भण्डारण है। कोरबा क्षेत्र के मानिकपुर, कुसमुंडा, गेवरा, दीपका और रामपुर बेसिन में कोयला प्राप्त होता है।