वन अधिकार,जमीन,पेसा कानून को लेकर आदिवासी आंदोलनरत है। आदिवासियों ने सोमवार को राजधानी रायपुर में वन स्वराज सभा आंदोलन को लेकर सड़कों पर प्रदर्शन भी किया।
इस आंदोलन की वजह सीएम भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार की नीतियों को बताया है। सीएम भूपेश बघेल ने कहा “ आदिवासियों का आंदोलन केंद्र सरकार की वजह से हो रहा हैं। सुप्रीम कोर्ट में कुछ पीआईएल लगाया गया है, जिसका जवाब केंद्र की तरफ से नहीं दिया गया। ऐसे में जहां जंगल है और वन अधिकार प्रमाणपत्र देना है, वहां राज्य सरकार की तरफ से जवाब दिया गया है।
भूपेश बघेल का कहना है, राज्य सरकार भी चाहती है कि छत्तीसगढ़ के वनांचलो में जहां आदिवासी रहते है उसे अतिक्रमण नहीं माना जाए,13 दिसम्बर 2000 के पहले जिनका भी कब्जा है उसे अधिमान्यता मिलनी चाहिए। राज्य सरकार इस दिशा में काम करी है, न्यायालय के निर्देशों के तहत आगे भी इसपर कार्य किया जाएगा।
आदिवासी महासभा के मनीष कुंजाम का कहना है कि, ”आदिवासी बिना लड़े अपनी अस्मिता को नहीं बचा सकते है बैलाडीला की 13नम्बर डिपोजिट खदान को अदानी को सौपने के लिए सरकार ने फर्जी ग्रामसभा की जांच रिपोर्ट दबा दी और अब आदिवासियों की आवाज को दबाने नए-नए पुलिस कैंप खोले जा रहे है।“
आदिवासियों के वन स्वराज आंदोलन की मांग है
वन अधिकार कानून के क्रियान्वयन को मिशन मोड में लाएं , ख़ारिज दावों पर पुनर्विचार किया जाएं , खनन उद्योगों व अन्य विकास परियोजनाओं के लिए ग्राम सभा की अनुमति लें , भारतीय वन अधिनियम 1927 लागू ना करे, वनजीव अभ्यारण घोषित करने से पहले ग्राम सभाओं से सहमति ले, कैम्पा मद पर ग्रामसभा का नियंत्रण हो, वन अधिकार के विरूद्ध दायर याचिकाओं की सुनवाई में जनपक्षीय दलील रखी जाए।