प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की जयंती के उपलक्ष्य में उन्हें याद करते हुए कहा कि पूरा राष्ट्र उन्हें नमन कर रहा हैं । उन्होंने जो काम किया वह हमेशा स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। पाकिस्तान को दो टुकड़े करके बांग्लादेश का निर्माण किया। इतिहास में ऐसा दूसरा उदाहरण दिखाई नहीं देता। तो! ऐसा क्या किया था इंदिरा गांधी ने आइए जानते हैं।
इंदिरा गांधी भारत की ऐसी
प्रधानमंत्री थीं, जिसने पाकिस्तान
को ऐसा दर्द दिया, जिसे वो कभी नहीं भूल सकता। पाकिस्तान को इससे बड़ा झटका आज तक किसी पीएम ने
नहीं दिया है। वर्ष
1971
में इंदिरा जी के आदेश पर भारतीय फौजों ने तीन दिसंबर को पूर्वी
पाकिस्तान में प्रवेश किया। फिर वो नया बांग्लादेश देश बनवाकर ही लौटीं।
इंदिरा गांधी ने जब ये काम किया तो अमेरिका का बहुत
बड़ा दबाव था कि भारत किसी भी हालत में पूर्वी पाकिस्तान में कोई कार्रवाई नहीं
करेगा। अगर उसने किया तो अमेरिका भारत से
खिलाफ कार्रवाई के लिए अपना सातवां बेडा हिंद महासागर में भेज देगा। लेकिन इंदिरा इस धमकी के बाद भी नहीं डरीं।
नवंबर 1971 में इंदिरा गांधी
अमेरिका गईं थीं। वहां अमेरिका के
राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने उन्हें ऐसा कुछ नहीं करने के लिए आगाह किया था। लेकिन भारत लौटते ही उन्होंने भारतीय फौजों को
पूर्वी पाकिस्तान में कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया।
हालांकि निक्सन को ये अंदाज हो गया था कि भारत उसकी
चेतावनी के बाद भी मानेगा नहीं। इसलिए
उन्होंने चीन से संपर्क किया था कि वो भारत को रोके लेकिन चीन तैयार नहीं हुआ। बौखलाए निक्सन ने फिर इंदिरा पर संघर्ष विराम का
दबाव डाला। दो-टूक जवाब मिला- नहीं ऐसा
नहीं हो सकता।
भारत ने ये कदम इसलिए उठाया था, क्योंकि उस समय पाकिस्तान की फौजों के दमनचक्र के कारण बड़े पैमाने पर बांग्लादेशी शरणार्थी भागकर भारत आ रहे थे। इसका असर पूरे देश पर पड़ रहा था। लिहाजा भारत के पास इस कार्रवाई को उचित ठहराने के पर्याप्त कारण थे।
दरअसल इंदिरा गांधी के पूरे आत्मविश्वास के साथ पूर्वी पाकिस्तान में भारतीय फौजों को भेजने की भी एक वजह थी। क्योंकि वो सोवियत संघ जाकर उनसे मदद मांग आईं थीं। सोवियत संघ ने अमेरिकी कार्रवाई के खिलाफ ढाल बनने का भरोसा दिया था।
जब अमेरिका ने अपने सातवें बेडे को हिन्द महासागर में पहुंचने का आदेश दिया, तब सोवियत संघ तुरंत सामने आकर खड़ा हो गया। भारत ने संघर्ष विराम तो किया लेकिन 17 दिसंबर के बाद, जब बांग्लादेश बन चुका था।
ये ऐसा समय था जब भारतीय फौजें चाहतीं तो पश्चिम में
पाकिस्तानी सीमा के अंदर तक जाकर उसके इलाके को हड़प सकती थीं, लेकिन इंदिरा ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने मास्को के जरिए वाशिंगटन को संदेश
भिजवाया कि पाकिस्तानी सीमाओं को हड़पने का उनका कोई इरादा नहीं है। उन्हें जो करना था, वो
उन्होंने कर दिया।
माना जाता है कि भारत ने सबसे पहले बांग्लादेश को एक
देश के रूप में मान्यता दी लेकिन ये सही नहीं है बल्कि ये काम छह दिसंबर को भूटान
ने सबसे पहले कर दिया था।
भारत ऐसा करने वाला दूसरा देश था। बांग्लादेश बनने के एक महीने के अंदर ही अंदर
संयुक्त राष्ट्र के ज्यादातर देशों ने बांग्लादेश को मान्यता दे दी। इस जीत और सैन्य अभियान ने यकायक इंदिरा और भारत
की छवि पूरी दुनिया में बदलकर रख दी।
निक्सन कभी इस घाव को भूल नहीं पाए। याहया खान के हाथ से पाकिस्तान की सत्ता चली गई। उन्हें जुल्फिकार अली भुट्टो को सत्ता सौंपनी पड़ी। भुट्टो ने सत्ता में आते ही उनसे सारे अधिकार और पद छीनकर नजरबंद कर दिया। लेकिन इंदिरा द्वारा पाकिस्तान को दिए गए इस आघात को वो कभी भूल नहीं पाया।