रायपुर, व्हाट्सएप्प पर समाजिक कार्यकर्ताओं की निगरानी मामले में मानवाधिकार कार्यकर्ता और सामजिक कार्यकर्ता समेत पत्रकारों के वाट्सएप्प पर निगरानी मामले को भूपेश बघेल ने गंभीरता से लिया है। राज्य सरकार को सीएम भूपेश बघेल ने जांच के निर्देश दिए हैं। गृृह सचिव छत्तीसगढ़ सुब्रत साहु की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है। इस कमेटी में डीजीपी डीएम अवस्थी और जनसंपर्क संचालक तारण प्रकाश सिन्हा को भी रखा गया है। यह समीति वाट्सएप्प निगरानी कांड की जांच करके रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेगी। जांच के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं ने ही केंद्र और राज्य सरकार से मांग की थी।
व्हाट्सएप कॉल की प्राइवेसी को भी इजराइल की एक कंपनी ने ऐसा एक सॉफ्टवेयर बनाया है, जिसे आपके मोबाइल में एक वायरस फीड हो जाएगा। जिसके बाद आपको हैक करने वाला न सिर्फ आपके व्हाट्सएप कॉल को सुन सकेगा बल्कि उसके थ्रू आपके पासवार्ड समेत तमाम डेटा को अपने सिस्टम में सिंक कर लेगा। सिंक कर लेगा यानी सबकुछ देख लेगा
मजेदार ये है कि, इस बात की जानकारी खुद व्हाट्सएप ने दी है , इस जानकारी में बताया गया है कि आपकी सरकार आप पर नजर रख रही है। इज़राइल की एक कंपनी एनएसओ पेगसस बनाती है। कंपनी का दावा है कि वह अपना सॉफ्टवेयर काफी सोच समझकर और सिर्फ सरकार की एजेंसी को ही बेचती है। अगर इस सॉफ्टवेयर से किसी पत्रकार के फोन का डेटा लिया गया है, उसके फोन के ज़रिए उसकी हर गतिविधि को रिकॉर्ड किया गया तो यह चिन्ता की बात है। भारत सरकार ने ज़रूर व्हाट्सएप से जवाब मांगा है, लेकिन उसे बताना चाहिए कि उसने एनएसओ के इस सॉफ्टवेयर को खरीदा है या नहीं, और ठोस जवाब देना चाहिए कि इसका इस्तेमाल पत्रकारों और वकीलों के खिलाफ हो रहा है।
इस कंपनी की सॉफ्टवेअर की मदद से जिन भारतियों के व्हाट्सएप को हैक किया गया है, वे सभी पत्रकार और दलित आदिवासियों के लिए काम करते हैं। जो नाम सामने आये है उनमें प्रो आनंद तेलतुम्बडे, गोआ इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, आशीष गुप्ता, पिपल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स, सरोज गिरी, दिल्ली विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर हैं, वियोन चैनल के सिद्धांत सिब्बल हैं, राजीव शर्मा स्वतंत्र पत्रकार हैं, शुभ्रांशु चौधरी,पूर्व पत्रकार बीबीसी, बेला भाटिया, सामाजिक अधिकार कार्यकर्ता, डीपी चौहान सामाजिक अधिकार कार्यकर्ता, रूपाली जाधव, कबीर कला मंच, शालिनी गेरा, छत्तीसगढ़ में जगदलपुर लीगल एड ग्रुप से जुड़ी हैं, अजमल ख़ान, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस, सीमा आज़ाद, पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टिज़, विवेक सुंदर, पर्यावरण और सामाजिक अधिकार कार्यकर्ता और नेहाल सिंह राठौड़ नागपुर के वकील हैं, ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क चलाते हैं।
इस कंपनी की सॉफ्टवेअर की मदद से जिन भारतियों के व्हाट्सएप को हैक किया गया है, वे सभी पत्रकार और दलित आदिवासियों के लिए काम करते हैं। जो नाम सामने आये है उनमें प्रो आनंद तेलतुम्बडे, गोआ इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, आशीष गुप्ता, पिपल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स, सरोज गिरी, दिल्ली विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर हैं, वियोन चैनल के सिद्धांत सिब्बल हैं, राजीव शर्मा स्वतंत्र पत्रकार हैं, शुभ्रांशु चौधरी,पूर्व पत्रकार बीबीसी, बेला भाटिया, सामाजिक अधिकार कार्यकर्ता, डीपी चौहान सामाजिक अधिकार कार्यकर्ता, रूपाली जाधव, कबीर कला मंच, शालिनी गेरा, छत्तीसगढ़ में जगदलपुर लीगल एड ग्रुप से जुड़ी हैं, अजमल ख़ान, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस, सीमा आज़ाद, पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टिज़, विवेक सुंदर, पर्यावरण और सामाजिक अधिकार कार्यकर्ता और नेहाल सिंह राठौड़ नागपुर के वकील हैं, ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क चलाते हैं।
कैसे करता है ये सॉफ्टवेयर काम
एक मिस्ड कॉल के ज़रिए स्मार्ट फोन के भीतर वायरस प्रवेश करता है और सारी जानकारी जमा करने लगता है। फोन का कैमरा ऑन हो जाता है और पता चलने लगता है कि आप कहां जा रहे हैं, किससे मिल रहे हैं और क्या बात कर रहे हैं। यह क्यों गंभीर मामला है। अगर पत्रकारों के फोन को इस तरह टैप किया जाने लगे तो बची खुची नमक बराबर पत्रकारिता है वो भी समाप्त हो जाएगी। हमारे पेशे में यह ज़रूरी है कि हम अपने सोर्स से होने वाली बातचीत को गुप्त रखें। अगर कोई फोन ट्रैक करेगा तो सोर्स की बात नहीं करेंगे और इस तरह आपके पास सूचनाएं नहीं पहुंचेगी। डरने वाला पत्रकार डर जाएगा। आपको कहानी बेच दी जाएगी आतंक या देशद्रोह की, लेकिन उसके पीछे का इरादा कुछ और होगा। इसलिए पत्रकार का फोन टैप होना बेहद गंभीर मामला है।