राज्य सरकार द्वारा कुपोषण मुक्ति के लिए चलाए जा रहे सुपोषण योजना की पहली मासिक रिपोर्ट जिला प्रशासन की ओर से जारी किया गया है, जो सुपोषण योजना की असल हकीकत दिखा रहा है।
जिला रायपुर में 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन “सुपोषण योजना” आरंभ किया गया, इसमें प्रशासन ने 819 बच्चों को कुपोषण मुक्त करने हेतु चयनित किया था। एक माह बाद आए मासिक रिपोर्ट के आधार पर 819 में से 12 बच्चें ही सुपोषित हो पाए है।
छत्तीसगढ़ प्रदेश में कुपोषण दर 38 प्रतिशत है, जिसमें 44 फीसदी कुपोषण आदिवासी बहुल क्षेत्रों में पाया गया है। राज्य सरकार की ओर से प्रदेश में कुपोषण की इस गंभीर समस्या को देखते हुए “कुपोषण मुक्ति” अभियान शुरू किया गया है।
फरवरी 2019 में आयोजित वजन त्यौहार के दौरान यह पाया गया कि राज्य में 4 लाख 92 हजार 176 बच्चे कुपोषित है । इसमें रायपुर जिला तीसरे नम्बर पर कुपोषित जिले के रूप में है ।
मासिक रिपोर्ट को लेकर जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी ए.के. पांडेय का कहना है ” सुपोषण के लिए 819 बच्चों का चयन किया गया है, जिसमें 12 बच्चें सुपोषित और 713 मध्यम हुए है, यह अच्छी पहल है ।
फरवरी 2019 के आंकड़ों को देखा जाए तो पिछले एक साल में, इस अभियान के अंतर्गत राज्य सरकार के द्वारा बच्चों को सुपोषित करने के लिए अब तक करीब 454 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किये जा चुके है।
इसमें सुपोषण चौपाल में 9,93,04,276 रुपए , महतारी जतन योजना में 2,19,97,477 रुपए , अमृत योजना में 14,38,09,718 रुपए, बाल संदर्भ योजना में 2,69,70,816 रुपए , पूरक पोषण आहार कार्यक्रम में 4,05,17,351 रुपये खर्च किये जा चुके है।
फिलहाल मासिक रिपोर्ट को देखा जाए तो जिस तरह सरकार इस योजना पर खर्च कर रही है , उस हिसाब से परिणाम नजर नहीं आ रहे है । अभी भी राज्य सरकार के लिए कुपोषण मुक्त प्रदेश एक बहुत बड़ी चुनौती है ।