अयोध्या राम जन्मभूमि पर एतिहासिक फैसला आने के बाद रायपुर छत्तीसगढ़ के पुरातत्ववेत्ता एवं इतिहासकार पद्मश्री अरुण शर्मा ने अपने अनुभव साझा किया। आपको बता दें कि अरुण कुमार शर्मा ने इस विवादित भूमि पर पुरातत्वेत्ता के रूप में कई सालों तक रिसर्च कार्य किया है।
रायपुर शहर और छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध पुरातत्ववेत्ता अरुण कुमार शर्मा ने बातचीत के दौरान बताया कि उन्होंने यह किताब न्यायमूर्ति धर्मवीर शर्मा, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल एवं न्यायमूर्ति एसयू खान के निर्णय के बाद लिखा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह पुस्तक एतिहासिक तथ्य की दृष्टी से बहुत महत्वपूर्ण है।
पुस्तक में लिखे रामजन्मभूमि के तथ्यों का उल्लेख करते हुए अरुण कुमार शर्मा ने बताया कि विवादित भूमि पर मस्जिद ‘फंक्शनल मॉस्क’ नहीं थी। इस भूमि पर राम मंदिर के सैकड़ों प्रमाण है। विवादित भूमि पर मंदिर के 84 पिल्ल्हर प्रमाण के रूप में मौजूद थे। हिन्दू मंदिर में वर्षा जल के निकासी हेतु मगरमच्छ के स्वरूप में मकर प्रणार बना होता है। जो इस विवादिन भूमि पर खुदाई के समय प्राप्त हुए। इसके साथ देवी – देवताओं के छोटे – छोटे कई मूर्तियाँ भी मिली थी।