रायपुर। केंद्र सरकार के खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने राज्य सरकार को धान बोनस के पत्र के जवाब में अजीब तर्क दिया है। उन्होंने कहा है कि
धान का बोनस देने पर बाजार विकृत होता हैं। बाजार में मौजूद अन्य अनाज का भाव बढ़ता है और प्राइवेट खरीददार विचलित होता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा बोनस की घोषणा करने से बाजार विकृत होता हैं तथा बाजार में मौजूद अतिरिक्त अनाज का मूल्य बढ़ता हैं। ऊँचे मूल्य की वजह से प्राइवेट खरीददार विचलित होते हैं। और सरकारी खरीद एजेंसियों को अतिरिक्त खरीद करनी पड़ती है। इस आलोक में ही राज्य सरकारों को बोनस की घोषणा करने से रोकने के लिए एमओयू की कंडिका 1 यह प्रावधान किया गया है कि राज्य सरकारों द्वारा किसी भी प्रकार के बोनस दिए जाने की स्थिति में भारत सरकार द्वारा राज्य की सार्वजनिक वितरण प्रणाली में आवश्यक खाद्यान्न केंद्र पुल में नहीं लिया जाएगा।

पासवान ने आगे लिखा है कि खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 में धान/चांवल की खारीद हेतु केंद्र एवं छत्तीसगढ़ राज्य सरकार के बीच हस्तारक्षित एमओयू की कंडिका 1 की शर्त को शिथिल करते हुए भारतीय खाद्य निगम के द्वारा राज्य की सार्वजानिक वितरण प्रणाली की आवश्यकता के अतिरिक्त उपार्जित लगभग 28 एलएमटी उसना चांवल एवं 4 एलएमटी अरवा चांवल को केन्द्रीय पुल में मान्य करने का अनुरोध किया गया है।
उन्होंने आगे कहा है कि वर्तमान में केन्द्रीय पुल ने पहले से ही बंपर स्टॉक सीमा से काफी अधिक चांवल का भंडार उपलब्ध हैं। इसके अलावा जैसा की आपको विदित है कि केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 में धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढाकर 1815 रूपये प्रति क्विंटल (कॉमन) और 1835 रूपये प्रति क्विंटल (ग्रेड ए) कर दिया है। इस बार पुरे देश में धान की काफी अच्छी खरीद होने का अनुमान है। जिससे 416 एलएमटी चांवल प्राप्त होने का अनुमान हैं। इस अनुमानित अच्छी खरीद की वजह से चांवल का भंडार काफी अधिक होगा। जिससे चांवल के भण्डारण एवं परिसमापन में गंभीर समस्या उत्पन्न होने की संभावना हैं। इसके अलावा ओएमएसएस (डी) के मध्यम से चांवल के अतिरिक्त स्टॉक का परिसमापन बहुत कम होता रहा हैं । साथ ही विश्व व्यापार संगठन के कृषि समझौते के मुताबिक इस सार्वजनिक भंडार से निर्यात भी नहीं किया जा सकता हैं।

पासवान का पत्र सामने आने के बाद कांग्रेस मुखर हो गई है। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा है कि,केंद्र की मोदी सरकार की मानसिकता विकृृत हो गई है। किसानों को पैसे देने का क्या असर होता है इसे देखने के लिए उन्हें छत्तीसगढ़ आना चाहिए। घोर मंदी के दौर में भी बाजार में मंदी का असर नहीं है क्योंकि किसान को मिला पैसा बाजार में आता है जिससे बाकि सेक्टर को इसका लाभ मिलता है। केंद्र की मोदी सरकार यह स्पष्ट करे कि, उन्हें धान के बिचौलियों की चिंता है या किसानों की। �