गरियाबंद। गरियाबंद जिले के खरहरी गांव में आज एक तेंदुए की मौत हो गई। मौत के पहले तेंदुए को पकड़ने के लिए वन विभाग के अधिकारी और वेटनरी डाक्टरों की टीम ने उसे ट्रैंक्विलाइज़ किया था। अब वन विभाग का कहना है कि मारे गए तेंदुए की मौत भूख और चोट की वजह से हुई है न कि ट्रैंकुइलाइजर गन की दवा के ओवरडोज़ की वजह से।
“तेंदुए के पोस्टमॉर्टम से पता चला की उसका पेट खाली था और दायीं जांघ की हड्डी टूटी हुई थी। इसलिए मौत भूख और चोट की वजह से हुई,” प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) अतुल शुक्ला ने तोपचन्द को बताया।
उनके अनुसार, मादा तेंदुआ जिसकी उम्र लगभग 2 साल की थी, ने कुछ दिन पूर्व गांव में एक बछड़े का शिकार करने की कोशिश की थी। इस दौरान गोंवालों और तेंदुए के बीच लड़ाई हुई जिसमें उसे चोट आई थी।
ट्रैंकुइलाइजर से बेहोश करने के बाद उसे गरियाबंद ले जाया गया जहाँ उसकी हालत नाजुक बनी हुई थी। उसकी स्थिति को देख कर तेंदुए को नंदन वन शिफ्ट करने का फैसला लिया गया। लेकिन मादा तेंदुआ के रायपुर पहुंचने के पहले ही मौत हो गई।